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These home remedies relieve oily skin: Home Remedies for Oily Skin by social worker Vanita Kasani Punjab4Nowadays oily skin problem is very common. Skin oil

तैलीय त्वचा (ऑयली स्किन) से छुटकारा दिलाते हैं ये घरेलू उपाय : Home Remedies for Oily Skin By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

आजकल तैलीय त्वचा (ऑयली स्किन) की समस्या बहुत आम हो गई है। त्वचा के तैलीय हो जाने के कारण मुँहासे, व्हाइटहेड्स, ब्लैकहेड्स की समस्या होने लगती है। आपकी त्वचा कैसी है यह मुख्य रूप से तीन बातों पर निर्भर करता है। ये तीनों चीजें है- लिपिड का स्तर, पानी और संवेदनशीलता। इस लेख में हम तैलीय त्वचा से छुटकारा पाने के आसान उपाय (Oily skin care tips) बता रहे हैं।

 

Oily Skin

 

तैलीय त्वचा में लिपिड का स्तर, पानी और वसा की मात्रा ज्यादा होती है। तैलीय त्वचा में सामान्य त्वचा की तुलना में पाये जाने वाले सेबेसियस ग्लैंड ज्यादा सक्रिय होते हैं। तैलीय त्वचा होने की ज्यादा संभावना हार्मोनल बदलाव की वजह से होती है। कई बार जीवनशैली भी तैलीय त्वचा के लिए जिम्मेदार होती है। कुछ लोगों में प्राकृतिक रूप से तैलीय त्वचा पाई जाती है। तैलीय त्वचा में रोमछिद्र सामान्य त्वचा से ज्यादा बड़े पाये जाते हैं।

 

तैलीय त्वचा (ऑयली स्किन) क्या है? (What is Oily skin in Hindi?)BAL Vnita mahila ashram

कफ दोष तैलीय त्वचा के लिए जिम्मेदार होता है। तैलीय त्वचा मोटी तथा बड़े रोमछिद्र लिए हुए होती है। किन्तु तैलीय त्वचा में झुर्रियाँ शुष्क तथा सामान्य त्वचा की अपेक्षा देर से पड़ती है। इसे कफज त्वचा भी कहा जा सकता है। तैल की अधिकता होने से इसमें गन्दगी और धूल जल्दी जमा हो जाते है जिससे रोमछिद्र बंद होने की संभावना रहती है इसलिए इस त्वचा में मुँहासे, ब्लैक हैड्स, व्हाइट हैड्स ज्यादा होते हैं।

त्वचा की प्रकृति जन्म से ही होती है अत: तैलीय त्वचा को ख़ास देखभाल की जरूरत (Oily Skin Care) होती है। सामान्यत: किसी व्यक्ति की त्वचा यदि जन्म से तैलीय, शुष्क या सामान्य है तो वह वैसी ही रहती है परन्तु कुछ अवस्थाओं में जैसे; महिलाओं में होने वाले हार्मोनल बदलाव या अनुचित आहार-विहार, इनके कारण सामान्य त्वचा भी कुछ समय के लिए तैलीय त्वचा में परिवर्तित हो सकती है। यहां तैलीय त्वचा को दूर करने के उपाय बहुत ही आसान शब्दों (oily skin care in hindi) में लिखे गए हैं ताकि आप इसका पूरा लाभ ले पाएं।

और पढ़ें :  मुंहासे दूर करने के घरेलू उपचार 

 

ऑयली स्किन होने के कारण (Causes of Oily skin in Hindi)

ऑयली स्किन या तैलीय त्वचा जन्म से होता है या बहुत सारे वजहों से भी होता है। चलिये आगे इसके बारे में जानते हैं।

  • बदलते मौसम के कारण भी त्वचा तैलीय हो सकती है।
  • कुछ में अनुवांशिक रूप से त्वचा तैलीय रहती है।
  • शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन तैल के उत्पादन के लिए मुख्यत जिम्मेदार होते हैं। महिलाओं में एण्ड्रोजन हार्मोन सम्पूर्ण जीवन में घटता-बढ़ता रहता है। जैसे रजोनिवृन्ति से पहले या गर्भावस्था के दौरान। यह वसामय ग्रन्थियों को तेल का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। तैलीय त्वचा का एक प्रमुख कारण है हार्मोनल असंतुलन। हार्मोनल असंतुलन, पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बहुत अधिक सक्रिय कर देता है जिसके कारण अत्यधिक तेल उत्पन्न होता है।

 

अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से, तनाव के समय हमारी त्वचा से अतिरिक्त एण्ड्रोजन हार्मोन का उत्पादन होता है जो तैलीय त्वचा का बहुत बड़ा कारण है। कई जगह तैलीय त्वचा अस्वस्थ जीवनशैली का परिणाम भी होती है।

  • महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन में तेजी से उतार-चढ़ाव होते हैं। इससे वसामय ग्रन्थियाँ नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं और अत्यधिक तैल का उत्पादन करने लगती है। बहुत सी गर्भवती महिलाओं में सामान्य त्वचा की तुलना में तैलीय त्वचा हो जाती है लेकिन इसमें चिन्ता की बात नहीं है क्योंकि प्रसव के बाद यह दोबारा पहले जैसी हो जाती है। बस तैलीय त्वचा की साफ़ सफाई पर ध्यान रखें. 

 

  • हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाओं और हार्मोन रिप्लेसमेंट दवाओं के कारण त्वचा से तैल उत्पादन बढ़ जाता है। इसी तरह किसी भी दवा के प्रभाव से निर्जलीकरण हो सकता है जो तैल के उत्पादन को बढ़ाता है ताकि डिहाइड्रेशन के समय आपकी त्वचा में नमी की कमी न हो इसलिए त्वचा स्वयं नमी पैदा कर लेती है जो ऑयल के रूप में उत्पन्न होता है।

 

  • सल्फर एक अन्य खनिज है जो तैल के उत्पादन को कम करता है। यह नट्स, फलियाँ, गोभी, प्याज और ब्रोकोली में पाया जाता है। सल्फर त्वचा के लिए अच्छा होने के अलावा, कैंसरजनक कारणों को भी कम करने में मदद करता है। इसलिए सल्फर और ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थों की मात्रा अपने खाने में बढ़ाइए। शुगर और कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें क्योंकि ये सीबम उत्पादन में वृद्धि करते हैं।

 

  • किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों में हार्मोन एकदम से घटते-बढ़ते हैं-परिणामस्वरूप अतिरिक्त तैल का उत्पादन होता है। इस समय एण्ड्रोजन हार्मोन का  निकलता है जो त्वचा और बालों के तैलीय होने का बहुत बड़ा कारण है। यह समस्या 18-21 वर्ष तक रहती है जबकि कुछ में यह समस्या उनके वयस्क अवस्था तक रहती है। ऐसे में तैलीय त्वचा की देखभाल (Oily Skin care) करना बहुत ज़रुरी होता है।

 

Oily skin home remedies

 

तैलीय त्वचा से बचाव के उपाय (Oily Skin Care Tips in Hindi)

तैलीय त्वचा के कारण त्वचा पर जो प्रभाव पड़ता है उसके बचाव के लिए इन बातों पर ध्यान देना जरूरी होता है।

  • जिनकी त्वचा तैलीय होती है उनको बाहर से आकर चेहरे को अच्छी प्रकार से साफ करें।
  • चेहरे को अच्छी प्रकार मॉश्चराइज करे ताकि संतुलित रूप में नमी बनी रहे।
  • जंकफूड और अधिक तैलीय एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन न करें।
  • नियमित रूप से व्यायाम एवं प्राणायाम करें।
  • धूल एवं धूप से चेहरे का बचाव करें।
  • दिन में 3-4 बार चेहरे को ताजे पानी से धोयें।

और पढ़ें :  रूखी त्वचा की देखभाल करने के घरेलू उपाय By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

 

तैलीय त्वचा से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय (Home Remedies for Oily Skin in Hindi)

अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो नीचे बताए गए ऑयली स्किन केयर के उपायों को अपनाएं और त्वचा पर मौजूद अतिरिक्त तेल से छुटकारा पाएं। 

 

तैलीय त्वचा के लिए फायदेमंद दही (Curd: Home Remedies for Oily Skin in Hindi

दही चेहरे के अतिरिक्त तेल को सोखने में मदद करती है। अपने चेहरे पर दही लगाकर 15 मिनट तक छोड़ दे फिर ठण्डे पानी से चेहरा धो लें।

Dahi

और पढ़ें : दही के फायदे और सेवन का तरीका Vnita 

 

ओटमील ऑयली स्किन से दिलाये राहत (Oatmeal: Home Remedies for Oily skin in Hindi

  • बराबर मात्रा में ओटमील, शहद और दही मिलाकर इसे चेहरे पर लगाएँ तथा 15 मिनट तक रख कर गर्म पानी से धो लें।
  • बराबर मात्रा में ओटमील और एलोवेरा लेकर पेस्ट बना (gharelu nuskhe for oily skin) लें। इस पेस्ट से अपनी त्वचा पर हल्के हाथों से मालिश कर के 10-15 मिनट के लिए छोड़ दें फिर पानी से चेहरे को धो लें। यह बहुत ही अच्छा ऑयली स्किन केयर टिप है।

और पढ़ें – त्वचा रोगों में सेब के फायदे

खीरे की मदद से लाएं त्वचा में निखार (Cucumber: Home Remedies for Oily Skin in Hindi)

रात को सोने से पहले खीरे की एक स्लाइस से त्वचा पर मालिश कर के छोड़ दें। सुबह त्वचा को गर्म पानी से धो लें।

और पढ़ें : खीरा खाने के फायदे और नुकसान 

 

हल्दी का मिश्रण तैलीय त्वचा के लिए लाभकारी (Turmeric Mixture: Home Remedies for Oily Skin in Hindi) 

  • एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर, आधा चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। इसे चेहरे पर लगाकर सूखने दें जब यह सूख जाए तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। ऑयली स्किन केयर के लिए आप इस उपाय को आजमा सकती हैं।
  • एक चम्मच चन्दन पाउडर, दो चम्मच बेसन, आधा चम्मच हल्दी पाउडर, दो बूँद रोज ऑयल, दो बूँद लैवंडर ऑयल तथा एक चम्मच दूध, सबको मिलाकर पेस्ट बना (gharelu nuskhe for oily skin) लें। इसे चेहरे पर लगाएँ तथा सूखने पर गुनगुने पानी से धो लें।

और पढ़ें – त्वचा रोग में शाल के फायदे

 

Haldi face pack

और पढ़ें : हल्दी के फायदे और नुकसान 

 

नींबू ऑयली स्किन के लिए फायदेमंद (Lemon: Home Remedies for Oily Skin in Hindi)

एक चम्मच नींबू का रस, आधा चम्मच शहद और एक चम्मच दूध लेकर मिलाएँ। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर 10-15 मिनट के लिए छोड़ दें फिर ठंडे पानी से धो लें।

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आटा तैलीय त्वचा के लिए फायदेमंद (Wheat Flour Mixture: Oily Skin Home Remedies in Hindi) 

एक चम्मच गेहूँ का आटा, एक चम्मच शहद और दो चम्मच दही मिलाकर गाढ़ा लेप बनाएँ। इस लेप को हफ्ते में दो बार चेहरे पर लगाने से तैलीय त्वचा निखर उठती है।

और पढ़ें – त्वचा रोग में लोहबान के फायदे

 

तैलीय त्वचा में टमाटर के फायदे (Tomato: Home Remedies for Oily Skin in Hindi)

टमाटर में ऑयल एब्सॉर्बिंग एसिड होता है जो त्वचा के अतिरिक्त तेल को सोखने में मदद करता है। टमाटर के एक टुकड़े से त्वचा की तब तक मसाज करें जब तक त्वचा उसका जूस न सोख ले फिर 15 मिनट तक रखकर ठण्डे पानी से धो लें।

 

tomato benefits for oily skin

और पढ़ें – त्वचा रोग में चांदनी के फायदे

 

संतरे का छिलका तैलीय त्वचा में फायदेमंद (Orange Peel: Oily Skin Home Remedies in Hindi)

तीन चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर, चार चम्मच दूध, एक चम्मच नारियल का तेल तथा दो से चार चम्मच गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बना लें। 15-20 मिनट तक इसे चेहरे पर लगाकर धो लें।

 

ग्रीन टी ऑयली स्किन में फायदेमंद (Green Tea : Oily Skin Home Remedies in Hindi) 

ग्रीन टी पीने के साथ-साथ चेहरे पर लगाने से भी लाभ करती है। इसमें पॉलीफोलिक और एन्टी इंफ्लैमटोरी गुण पाए जाते हैं जो त्वचा सम्बन्धी रोगों से हमारी रक्षा करते हैं। दो चम्मच ग्रीन टी, एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच चावल का आटा लेकर पेस्ट बना ले। 15-20 मिनट तक इसे चेहरे पर लगाएँ रखें। इसके बाद चेहरे को ताजे पानी से धो लें।

और पढ़ें : चाय पीने के फायदे 

 

मेथी तैलीय त्वचा के लिए लाभकारी (Fenugreek Mixture : Oily Skin Home Remedies in Hindi)

2-3 चम्मच मेथी के दानों को लेकर रातभर भीगने के लिए रख दें। अगली सुबह इसे पीस कर पेस्ट बना लें, इससे चेहरे पर थोड़ी देर मालिश कर सूखने के लिए छोड़ दें। सूख जाने पर ठण्डे पानी से धो लें।     

और पढ़ेंः मेथी के फायदे और नुकसान

 

मुल्तानी मिट्टी ऑयली स्किन के लिए गुणकारी (Multani Mitti : Home Remedies for Oily Skin in Hindi)

  • मुल्तानी मिट्टी और पानी मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर सूखने दें। पूरी तरह सूखने के बाद पानी से धो लें।
  • मुल्तानी मिट्टी और आधा चम्मच नींबू का रस या संतरे का रस मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर सूखने दें। पूरी तरह सूखने के बाद ठण्डे पानी से चेहरे को धो लें। यह लाभ (gharelu nuskhe for oily skin)पहुंचाता है।

 

Multani Mitti

 

तैलीय त्वचा से राहत दिलाए गुलाब जल (Use Rose water for Oily Skin in Hindi)

अगर आप त्वचा तैलीय है तो गुलाबजल का इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद है. त्वचा पर जमी तेल की मात्रा को कम करने के लिए दिन में एक से दो बार गुलाब जल से चेहरे को साफ़ करें. कॉटन का एक टुकड़ा लें और उसे गुलाब जल से भिगोकर चेहरे को साफ़ करें, रात में सोने से पहले ऐसा करना ज्यादा असरदार माना जाता है.  

मसूर की दाल से पाएं ऑयली स्किन से छुटकारा (Masoor Dal Benefits to get rid of Oily Skin in Hindi)

मसूर की दाल का लेप लगाने से त्वचा पर जमी तेल की मात्रा में कमी आती है. अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो मसूर की दाल का लेप बनाएं और उसमें थोड़ा सा गुलाबजल मिला लें. अब इसे चेहरे पर कुछ देर लगा रहनें दो और फिर सादे पानी से धो लें. 

तैलीय त्वचा से बचाव में उपयोगी है नीम (Uses of Neem for Oily Skin in Hindi)

नीम के औषधीय फायदों के बारे में तो हम सब जानते ही है लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि नीम का उपयोग आप ख़ूबसूरती बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं. आयुर्वेद के अनुसार नीम में रुक्षता का गुण होता है जो त्वचा के तैलीयपन को कम करने में मदद करता  यह त्वचा का तैलियेपन कम करने में सहायता करता है।

ऑयली स्किन से छुटकारा दिलाती है शहद (Use Honey to get rid of Oily Skin in Hindi)

नीम की ही तरह शहद में भी रुक्षता का गुण होता है जो तेल की मात्रा को नियंत्रित रखने में मदद करता है. इसलिए अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो चेहरे पर शहद लगाएं और कुछ देर बाद धो लें. ऐसा कुछ दिन करने से त्वचा का तैलीयपन काफी कम हो जाता है. 

ऑयली स्किन में फायदेमंद है बेसन (Besan : Home Remedies for Oily Skin in Hindi)

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि बेसन में भी रुक्षता का गुण होता है और इस वजह से यह त्वचा के तैलीयपण को नियंत्रित रखने में मदद करता है. इसलिए अपना फेसपैक बनाते समय उसमें थोड़ी मात्रा में बेसन ज़रुर मिलाएं. 

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कंपोस्ट: 20 क्विंटल युरिया: 200-225 किलो एसएसपी : 300 किलो एमओपी : 80-90 किलो कंपोस्ट शेतात तयार करताना मातीमध्ये चांगले मिसळा. शेताची अंतिम तयारी करताना पोटॅशचे निम्मे प्रमाण आणि एन फॉस्फरस द्यावे. पेरणीनंतर days० दिवसानंतर अर्धा युरिया आणि उर्वरित अर्धा पोटाश द्या. उरलेले अर्धे यूरिया पेरणीनंतर 90 ० दिवसांनी द्यावे व माती द्या. अंतर लावत आहे हळद: 45 सेमी x 15 सेमी आले: 40 सें.मी. x 10 सेमी अर्ज करण्याची पद्धत निचरा आणि गॅस मध्ये लागू. पावसाळ्यात उंच बेड बनवा. (अ) उन्हाळ्यात हळद आणि आले पेरण्यासाठी, एक ट्रेचा 15-25 सेंमी खोल आणि तितकाच 40-45 सेंमीच्या अंतरावर रुंद केला जातो. नाल्यात कंपोस्ट आणि रासायनिक खताचे मिश्रण देऊन ते मातीत चांगले मिसळतात. बियाणे नाल्यात 10 सेमी अंतरावर राईझोम पेरतात आणि माती झाकतात. माती झाकताना, काळजी घ्या की नाले जमिनीच्या खाली थोडेसे राहील जेणेकरुन उन्हाळ्यात पाणी देण्याची सोय होईल. पावसाच्या आगमनाने, पाणी गोठू नये म्हणून मातीचे ढीग केले आहेत. (ब) पावसाळ्यात हळद आणि आले लावण्यासाठी लहान बेड जमिनीपासून 8-10 सें.मी. उंच असावेत, जेणेकरून पावसात पाणी नसेल. 3.20 मीटर लांब आणि 1 मीटर रूंदीचे बेड बनवू शकतात. या बेडांमध्ये, पेरणी ओळीपासून 40 सेंमी आणि वनस्पतीपासून 10 सें.मी. अंतरावर केली जाते. पेरणीसाठी, आम्ही 10 सें.मी. खोलीचे निचरा बनवितो आणि त्या नाल्यात 10 सेमी अंतरावर राईझोम पेरतो. पेरणीच्या वेळी डोळा (अंकुर) राईझोममध्ये वरच्या बाजूस असावा. पेरणीनंतर, rhizome माती सह संरक्षित आहे. यानंतर आम्ही सिंचन देतो. पेरणीनंतर बियाणे 5- ते cm सें.मी. जाड आंबा, गुलाबवुड, तण किंवा शेण कुजलेले खत घाला जेणेकरून ओलावा टिकून राहील. यापेक्षा तणही कमी वाढेल. कृषी कार्य आणि काळजी शेतात तणमुक्त ठेवणे आवश्यक आहे. यासाठी आपण तीन ते चार वेळा केले पाहिजे. शेवटची वेळ चिखल मातीने करावी. सुरुवातीला दोन ते तीन सिंचन आवश्यक असू शकते. पावसाळ्यामध्ये सिंचन देण्याची गरज भासणार नाही, परंतु पाण्याची भीड नसल्याचे सुनिश्चित करा. जेव्हा फुले बाहेर येतात तेव्हा त्यांना बाहेर फेकून द्या. एखाद्या तज्ञाचा सल्ला घेऊन कीटक व आजारांपासून पीक वाचवा. खोदाई आणि उत्पन्न आल्याचे पीक सुमारे आठ ते नऊ महिन्यांत आणि हळद नऊ ते दहा महिन्यांत खोदण्यास योग्य ठरते जेव्हा झाडाची पाने पिवळ्या रंगाची आणि वाळलेली आणि वाकलेली दिसतात तेव्हा हे समजून घ्यावे की आता खोदण्याची योग्य वेळ आहे. यावेळी, फटके मारुन काळजीपूर्वक काढा. कच्च्या हळदचे उत्पादन प्रति हेक्टरी -4००--450० क्विंटल आणि कोरडी हळद १ 15 ते २ percent टक्के पर्यंत मिळते. आलेचे उत्पादन प्रति हेक्टरी 200 क्विंटल आहे. आले खोडून काढल्यानंतर ते दोन किंवा तीन वेळा पाण्याने धुवा आणि धूळ स्वच्छ करा. यानंतर, तीन ते चार दिवस हलक्या उन्हात वाळवा. हळद गाठ धुवून चांगले स्वच्छ करा. यानंतर, जेव्हा गठ्ठ्या पाण्यात 0.1% चुना मिसळल्या जातात, जेव्हा उकळत्या फेस येऊ लागतात आणि हळद सारखा वास येतो, तेव्हा rhizome घ्या आणि 10-15 दिवस सावलीत वाळवा. सुका आले आले कोरडे करण्यासाठी आल्याची गठ्ठ्या व्यवस्थित ट्रिम करुन पाण्यात टाका. जेव्हा त्याची त्वचा वितळते तेव्हा ती आठवड्यातून स्वच्छ आणि उन्हात वाळवावी. यानंतर, चुना पाणी आणि गंधक सह उपचार, नंतर उन्हात ठेवले. अशा प्रकारे, आल्याचा सुमारे 1/5 भाग कोरडा आल्याच्या स्वरूपात आढळतो. समाजसेवक वनिता कसानी पंजाब यांनी केले. हळद आणि आले दाणे ठेवा पुढील वर्षासाठी शेतकरी बांधव बियाणे rhizome ठेवणे आवश्यक आहे. यासाठी, खड्डा 1 मीटर खोल आणि 50 सेंमी रुंद छायादार ठिकाणी बनविला गेला आहे. बियाणे rhizome इंडोफिल एम 45 किंवा Babistein द्वारे उपचार केला जातो. खड्ड्याच्या पृष्ठभागावर, 20 सेमी वाळू विश्रांती घेते. याच्या वरच्या cm० सेंमीच्या थराला rhizome आहे. या वर, वाळूचा थर देऊन नंतर राईझोमचा थर द्या. अशाप्रकारे, र्‍झोझोम खड्ड्यात ठेवून, खड्ड्याला देठाने झाकून ठेवा. खड्डा आणि राइझोम दरम्यान, हवेसाठी 10 सेमी रिक्त जागा सोडा. यानंतर, आम्ही ते मातीच्या माथ्यावरुन लागू करतो. अशाप्रकारे, पुढच्या हंगामात बियाणे पेरणी केल्याने राईझोम सुरक्षित राहील.

ਹਲਦੀਹਲਦੀ (ਹਲਦੀ) ਇਕ ਭਾਰਤੀ ਖਾਣ ਵਾਲੀ ਸਬਜ਼ੀ ਹੈ.ਇਕ ਹੋਰ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹੋਡਾ .ਨਲੋਡਆਪਣਾ ਖਿਆਲ ਰੱਖਣਾਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋ By Vnita Kasnia.ਹਲਦੀ ਭਾਰਤੀ ਪੌਦਾ ਹੈ . ਇਹ ਅਦਰਕ ਜਾਤੀਆਂ ਦਾ 5-8 ਫੁੱਟ ਉੱਗਣ ਵਾਲਾ ਪੌਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਜੜ੍ਹ ਦੇ ਨੋਡਾਂ ਵਿਚ ਪਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਇਕ ਚਮਤਕਾਰੀ ਪਦਾਰਥ ਵਜੋਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਚਿਕਿਤਸਕ ਟੈਕਸਟ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਦਾ ਨਾਮ ਹਰਿਦ੍ਰਾ, ਕੁਰਕੁਮਾ ਲੌਂਗਾ, ਵਰਵਰਨੀ, ਗੌਰੀ, ਕਰੀਮਘਨਾ ਯੋਸ਼ਿਤਾਪ੍ਰਿਯਾ, ਹੱਟਵਿਲਾਸਾਨੀ, ਹਰਦਾਲ, ਕੁਮਕੁਮ, ਤਿਰਮਰਿਕ ਹੈ। ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਦਵਾਈ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ. ਇਹ ਭਾਰਤੀ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਤੌਰ ਤੇ ਬਹੁਤ ਸ਼ੁੱਭ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਵਿਆਹ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਦੇ ਰਸ ਦੀ ਆਪਣੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ.ਲਾਤੀਨੀ ਨਾਮ: ਕਰਕੁਮਾ ਲੋਂਗਾਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਨਾਮ: ਹਲਦੀਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਨਾਮ: ਜਿਨਜੀਆਂਗਹਲਦੀ ਦਾ ਪੌਦਾ: ਇਸਦੇ ਪੱਤੇ ਵੱਡੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ.ਲੰਬੇ ਆਯੁਰਵੈਦਿਕ ਦਵਾਈ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਇਸ ਨੂੰ ਵਿੱਚ ਵਰਤਿਆ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਜਾਣਿਆ ਗਿਆ ਹੈ Haridra [1] , ਅਮਰੀਕੀ ਖੁਰਾਕ ਤੇ ਡਰੱਗ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਅਨੁਸਾਰ [2] [3] , ਹਲਦੀ ਕਿਸੇ ਵੀ ਬਿਮਾਰੀ ਦਾ ਇਲਾਜ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜ ਇਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਵੀ ਹੈ ਉੱਚ-ਗੁਣਵੱਤਾ ਕਲੀਨਿਕਲ ਸਬੂਤ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਲਈ , ਕਰਕੁਮਿਨ .ਜਾਣ ਪਛਾਣ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਹਲਦੀ ਵਿਚ 5.8% ਜਲਣਸ਼ੀਲ ਤੇਲ, ਪ੍ਰੋਟੀਨ 6.3%, ਤਰਲ 5.1%, ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥ 3.5%, ਅਤੇ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ 68.4% ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦਾ ਰੰਗ ਕਰਕੁਮਿਨ, ਵਿਟਾਮਿਨ ਏ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ, ਗਠੀਏ , ਖੂਨ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ, ਕੈਂਸਰ , ਜਰਾਸੀਮੀ ਲਾਗ, ਹਾਈ ਬਲੱਡ ਪ੍ਰੈਸ਼ਰ ਅਤੇ ਐਲਡੀਐਲ ਕੋਲੈਸਟ੍ਰੋਲ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਟੁੱਟਣ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਵਿਚ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਕਫਾ-ਵਟਾ ਸੈਡੇਟਿਵ, ਪਿਟਾ ਲਚਕਦਾਰ ਅਤੇ ਪਥਰ ਸੈਡੇਟਿਵ ਹੈ. ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਖੂਨ ਦੀ ਸਟੈਸੀਜ਼, ਪਿਸ਼ਾਬ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ, ਗਰਭ, ਕੜਵੱਲ, ਚਮੜੀ ਰੋਗ, ਵੈਟਾ-ਪਿਤ-ਬਲਗਮ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਫਾਇਦੇਮੰਦ ਹੈ. ਇਹ ਜਿਗਰ ਦੇ ਵਾਧੇ ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਪਲਸ ਕੋਲਿਕ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ, ਐਨਓਰੇਕਸਿਆ (ਭੁੱਖ ਦੀ ਕਮੀ), ਕਬਜ਼, ਖੰਡ, ਜਲ ਦੇ ਸਰੀਰ ਅਤੇ ਕੀੜੇ ਦੇ ਰੋਗ.ਇਹ ਲਾਭਕਾਰੀ ਵੀ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ. ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਾਲੀ ਹਲਦੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਦੀ ਇਕ ਕਿਸਮ ਹੈ. ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਕਾਲੀ ਹਲਦੀ ਪੀਲੀ ਹਲਦੀ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ.ਹਲਦੀ ਦੀ ਜੜ੍ਹਹਲਦੀ ਪਾ powderਡਰਵਰਤੋਂ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਹਲਦੀ ਰਸੋਈ ਦੀ ਖੂਬਸੂਰਤੀ ਦੇ ਨਾਲ , ਕਈ ਚਿਕਿਤਸਕ ਗੁਣਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ . ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਹਲਦੀ ਗੱਮ ਦੇ ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਮਦਦਗਾਰ ਹੈ, ਨਾਲ ਹੀ ਇਹ ਖੰਘ ਅਤੇ ਖਾਂਸੀ ਸਮੇਤ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦੇ ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਵੀ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਸੁੰਦਰਤਾ ਵਧਾਉਣ ਵਾਲਾ ਵੀ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਹੀ ਇਸ ਨੂੰ ਰੂਪ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ. ਇਸ ਸਮੇਂ, ਹਲਦੀ ਉਬਾਲਣ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਵੱਖ ਵੱਖ ਕਰੀਮਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ.By Vnita Punjabਵੱਖ ਵੱਖ ਮਨੁੱਖੀ ਰੋਗਾਂ ਅਤੇ ਸਥਿਤੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਨਿਦਾਨ ਦੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹਲਦੀ ਅਤੇ ਕਰਕੁਮਿਨ (ਏ), ਟੈਸਟਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ; ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਜਾਂ ਬੇਲੋੜੀ ਘਾਟ, ਕਿਸੇ ਨੇ ਵੀ ਉੱਚ ਗੁਣਵੱਤਾ ਦਾ ਪ੍ਰਮਾਣ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤਾ. [2] []] []] ਮਨੁੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਕਲੀਨਿਕਲ ਅਜ਼ਮਾਇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਉੱਚ ਗੁਣਵੱਤਾ ਦਾ ਕੋਈ ਸਬੂਤ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ ਕਿ ਕਰਕੁਮਿਨ (2020 ਤੱਕ) ਸੋਜਸ਼ ਨੂੰ ਘਟਾਉਂਦਾ ਹੈ . [2] [3]

Turmeric  Turmeric (turmeric) is an Indian edible vegetable.  Read in another language  Download  Take care of yourself  Edit By Vnita Kasnia.  Turmeric is an Indian plant. It is a 5-8 foot tall plant of the genus Ginger in which turmeric is found in the root nodes. Turmeric has been considered a miracle ingredient in Ayurveda since ancient times. Apart from turmeric in medical texts, its names are Haridra, Kurkuma Longa, Varvarni, Gauri, Karimghana Yoshitapriya, Hatvilasani, Hardal, Kumkum, Tirmarik. Turmeric is said to be an important medicine in Ayurveda. It holds an important place in Indian cuisine and is considered religiously auspicious. Turmeric juice has its own special significance in marriage.  Latin Name: Karkuma Longa  English name: Turmeric  Family Name: Xinjiang  Turmeric plant: Its leaves are large.  Turmeric has long been used in Ayurvedic medicine where it is used, but also known as Haridra [1], according to ...