Skip to main content

दिल से लेकर खूबसूरती के लिए जाने खुबानी के फायदे - Khubani ke fayde By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबखुबानी के फायदे - Apricot Benefits in Hindiखुबानी के पोषक गुणखुबानी के स्वास्थ्य लाभखुबानी के अन्य फायदेखुबानी का उपयोगखुबानी के Vnita punjabखुबानी (Apricot) अपनी खूबियों के लिए विश्वभर में मशहूर है। फूड लवर इसे बेहद पसंद करते हैं। खासतौर से ताजा और फ्रेश फ्रूट्स खाने वाले लोगों का यह पसंदीदा फल है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि खुबानी (apricot in hindi) का आकार जितना खूबसूरत है, उसका स्वाद उससे भी ज्यादा रसीला। खुबानी, दरअसल एक रसदार और भरपूर सुगंध से भरा फल है, जिसका उपयोग न सिर्फ कई प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है, बल्कि इसे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभदायक माना जाता है।खुबानी यानि एप्रिकाॅट की उत्पत्ति के बारे में मान्यता है कि चार हजार साल पहले खुबानी की खेती (apricot in hindi) चीन में शुरू हुई थी। फिर जब लोग व्यापार के लिए वहां जाने लगे तो वापसी के दौरान इसे साथ देकर आने लगे। बाद में इसकी खेती यूरोप में की जाने लगी। फिर अंग्रेज इसे भी ले गये। फिलहाल विक्टोरिया इसका मुख्य उत्पादक बन गया है। स्वाद के साथ ही इसे खाने से भूख भी शांत हो जाया करती थी तो धीरे- धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। खुबानी की खूबियों ने खाने- पीने के शौकीनों को इसका दीवाना बना दिया है। तो आइये जानते हैं कि किन कारणों से खुबानी की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है।TABLE OF CONTENTSबाल वनिता महिला आश्रमखुबानी के पोषक गुण - Apricot Nutritional Value in HindiNutrient of Apricot in Hindiखुबानी में विटामिन ए, सी, पौटेशियम और मैंगनीज़ जैसे आवश्यक तत्वों और डाइटरी फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो सेहत को काफी लाभ पहुंचाती हैं।खुबानी को लोग खास तौर पर नाश्ते में खाना पसंद करते हैं। इसकी गिनती बेशक मीठे खाद्य पदार्थ में की जाती है लेकिन यह सिर्फ मीठे पदार्थ के रूप में ही सीमित नहीं है। मध्य पूर्वी देशों में कई व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए, यहां तक कि मांसाहारी भोजन में भी इसे मसालों के साथ मिला कर पकाया जाता है और लोग खूब चाव से खाते हैं। इसमें ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, अच्छे कोलेस्ट्रॉल और डाइटरी फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है। खुबानी के स्वास्थ्य लाभ - Health Benefits of Apricot in Hindiएंटी कैंसरखुबानी दिखने में भले ही छोटे आकार का हो, मगर इसके कई गुण हैं। यह न सिर्फ आपका स्वाद बदलता है, बल्कि कैंसर और मधुमेह जैसी घातक बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। डॉक्टर भी इसे खाने की सलाह देते हैं। खुबानी (apricot in hindi) के बीजों में कैंसर से लड़ने वाले तत्व मौजूद होते हैं। रिसर्च में यह बात साबित भी हो गयी है कि खुबानी के बीज में पाया जाने वाला विटामिन बी 17 कैंसर से बचाता है। इसके साथ- साथ खुबानी में विटामिन ए और विटामिन सी भी अच्छी मात्रा में होता है, जो इम्युनिटी को बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद मिलती है। कब्ज में फायदेमंदकब्ज की बीमारी अब आम है मगर इसकी वजह से पेट से संबंधित कई बीमारियां होने लगती हैं। कब्ज के कारण गैस, पेट दर्द और पेट से जुड़ी कई परेशानियों में खुबानी के सेवन (apricot in hindi) से राहत मिलती है। यह कब्ज की परेशानी को दूर करने में सहायक होता है। इस फल में फाइबर होता है, जिससे पाचन क्रिया दुरुस्त हो सकती है। Khubani Ke faydeदिल का दोस्तखुबानी को दिल का दोस्त भी कहा जाता है। वजह यह है कि दिल के मरीजों को खाने- पीने से संबंधित कठिन नियम मानने पड़ते हैं। ऐसे में खुबानी उनके स्वाद को बढ़ाता है। जी हां, फाइबर गुण से समृद्ध होने के कारण यह फल शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर अच्छे कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का भी काम करता है। सूखी हुई खुबानी कोरोनरी आर्टरी कैल्सीफिकेशन से भी बचाती है।एनीमिया से दूरीएनीमिया के कारण शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम होने लगता है। इसमें थकान, त्वचा में पीलापन, सांस लेने जैसी तकलीफें होती हैं। ऐसे में डॉक्टर का मानना है कि यह फल उन्हें राहत देता है। विटामिन- सी की मौजूदगी के कारण यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देता है। शरीर में रक्तचाप को बनाए रखने के लिए खुबानी का रोजाना सेवन किया जाना चाहिए।अस्थमा से राहतखुबानी में मौजूद विटामिन- सी के कारण अस्थमा के रोगियों को भी इसके सेवन करने की राय दी जाती है। विटामिन सी उच्च स्तर सांस की तकलीफ को कम करने में मदद करता है। साथ ही वह सांस की तकलीफ और संक्रमण को दूर करने में भी सहायक होता है।आंखों के लिए बढ़ियाउम्र के साथ- साथ आंखों की परेशानियां भी धीरे- धीरे घर करने लगती हैं। ऐसे में आंखों की सेहत का ख्याल रखना भी आवश्यक है। खुबानी इसमें सहायक होता है। माना जाता है कि 40 की उम्र के बाद आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है। सही पोषण की कमी इसका बड़ा कारण है। ऐसे में खुबानी में मौजूद विटामिन सी और बी- कैरोटीन आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक होते हैं। हर दिन इसके सेवन से आंखों की रोशनी बरकरार रहती है।तंदरुस्त हड्डियांखुबानी यानि एप्रिकाॅट आपकी हड्डियों को भी तंदरुस्त बनाने में सहायक है। इसकी वजह है कि इसमें आवश्यक मीनिरल्स हैं, जिनमें पोटैशियम के साथ- साथ कैल्शियम की भी मात्रा शामिल है। इसमें मैंगनीज की भी मात्रा है, इसलिए यह स्वास्थ्य के साथ- साथ आपकी हड्डियों को भी मजबूत करने में सहायक होता है। हड्डियों को मजबूत करने के लिए इसका इस्तेमाल कई तरीके से किया जा सकता है, खासतौर से मीठे पकवान और मसाले से बनने वाले व्यंजन में इसका इस्तेमाल हो सकता है या फिर इसे यूं ही फल के रूप में भी खाया जा सकता है।इलेक्ट्रोलाइट संतुलनखुबानी के सेवन से एक अहम फायदा यह भी है कि इससे आपके शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन पूरी तरह से बरकरार रहता है। इसमें मौजूद पोटैशियम इस संतुलन में मददगार होता है, जिसके कारण हृदय रोग से बचने में आसानी होती है।Apricot in Hindiत्वचा के लिए अच्छाखुबानी (एप्रिकाॅट) के न सिर्फ सेहत संबंधी फायदे हैं, बल्कि इसके सेवन से आपकी त्वचा भी बेहतरीन रहती है। इसके सेवन से एंटी एजिंग की समस्या से निजात पाई जा सकती है। रोजाना दो या तीन खुबानी का सेवन किया सकता है। यही नहीं, इसका फेस पैक बनाने में भी प्रयोग कर सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन- सी त्वचा के लिए फायदेमंद है, जो चेहरे को चमकदार बनाने में सहायक होता है। यही वजह है कि खुबानी का इस्तेमाल कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स जैसे क्रीम, स्क्रब, फेस पैक, जेल, फेसवॉश में किया जाता है। खुबानी के तेल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।बुखार करे ठीकखुबानी सीजनल बुखार को भी ठीक करने में सहायक होता है। इसके एंटी ऑक्सीडेंट तत्व इसमें मदद करते हैं। बुखार होने पर ऊर्जा के लिए कई बार डॉक्टर इसके सेवन की सलाह देते हैं।डॉक्टर का कहना है कि अगर बुखार में मरीज को और कुछ भी खाने की इच्छा न हो तो खुबानी देने से उन्हें न सिर्फ ऊर्जा मिलती है, बल्कि उनके मुंह का स्वाद भी बहुत हद तक बदलता है और मिजाज अच्छा हो जाता है।खुबानी फल के अन्य फायदे - Khubani ke Fayde in HindiDried Apricot in Hindiत्वचा और सेहत के अलावा खुबानी (एप्रिकाॅट) के अन्य फायदे भी हैं। खुबानी बालों को भी स्वस्थ रखने का काम करता है। खुबानी के तेल में मौजूद विटामिन ए और ई बालों को बढ़ाने में मदद करता है। इसके तेल का इस्तेमाल रेगुलर शैंपू और कंडीशनर में किया जाता है। इसके तेल की मालिश से स्कैल्प को काफी आराम भी मिलता है। इसके सेवन से स्कैल्प की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। गर्मी के दिनों में खुबानी के सेवन से शरीर में ठंडक बनी रहती है।खुबानी का उपयोग व सेवनआप खुबानी को दही के साथ मिलाकर खा सकते हैं या अपने सुबह के नाश्ते में दलिये के साथ मिला कर भी इसका सेवन कर सकते हैं।फलों का जूस निकालते वक्त बाकी फलों के साथ इसे मिला कर खुबानी का मिल्क शेक और जूस भी तैयार किया जा सकता है, जिसे सुबह- सुबह पीना सबसे अच्छा होगा।आप इसे धोकर ऐसे भी खा सकते हैं, यह स्वादिष्ट लगेगा। मीठे पकवानों में इसका उपयोग स्वाद को और बढ़ा देता है। खासतौर से मांसाहारी भोजन में इसके उपयोग से स्वाद बढ़ जाता है।खुबानी के नुकसान - Side effects of Apricots in Hindiयह बात तो जगजाहिर है कि किसी भी चीज की अति सही नहीं होती है, फिर चाहे वह कितना भी स्वाद से भरपूर क्यों न हो। ठीक उसी तरह खुबानी (एप्रिकाॅट) के ज्यादातर तो फायदे ही हैं लेकिन इसके सेवन को लेकर कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि खुबानी के बीजों का अत्यधिक सेवन जानलेवा रसायन का कारण भी बन सकता है। सूखे खुबानी के सेवन से आंतों में रुकावट हो सकती है। कई बार इसके सेवन से उल्टी और पेट के नीचे एबडॉमिनल दर्द भी होता है। यह बेहद जरूरी है कि आप जब खुबानी का उपयोग करें तो एक बार डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें। जिन्हें आंतों से संबंधित कोई परेशानी है, वे इसका सेवन न ही करें।खुबानी के बारे में पूछे जाने वाले सवाल और जवाब - FAQ'sखुबानी (एप्रिकाॅट) किस- किस मौसम में खाया जा सकता है, क्या इसका कोई निर्धारित मौसम है?नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इसका कोई मौसम निर्धारित है। हर मौसम में इसे खाया जा सकता है। हां, अगर यह फल के रूप में न मिले, तो इसे सुखा कर ड्राई फ्रूट्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बहुत कम लोग इस ड्राईफ्रूट के बारे में जानते हैं, जबकि इसमें विटामिन ए, बी, सी और ई पाया जाता है। साथ ही इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर और फॉस्फोरस भी होता है। खुबानी फाइबर का भी बेहतरीन स्त्रोत है।एक दिन में खुबानी का कितना सेवन किया जा सकता है? इसे खाने का कौन सा समय सबसे उपयुक्त है?अमूमन डॉक्टर की सलाह होती है कि अगर आप फल के रूप में इसे खा रहे हैं तो एक दिन में तीन और अगर सुखे हुए खुबानी खा रहे हैं तो पांच खा सकते हैं। खासतौर से डायबीटिज के मरीजों को कहा जाता है कि वे नाश्ते में खुबानी को अपनी नियमित डाइट में शामिल करें या फिर खाली पेट खा लें।बाल वनिता महिला आश्रमआमतौर पर लोगों का सोचना है कि ड्राई फ्रूट्स वाली चीजें वजन बढ़ाती है। क्या इसके सेवन से भी वजन बढ़ सकता है? साथ ही क्या इसकी कीमत बाकी ड्राई फ्रूट्स की तरह बहुत अधिक है?नहीं, बिल्कुल नहीं। इसके सेवन से तो वजन नियंत्रण में फायदा होता है। इसमें अच्छे कॉलेस्ट्रॉल होते हैं, जो कि वजन घटाने में सहायक होते हैं। यह एक मिथ है कि इस तरह के सभी ड्राई फ्रूट्स वजन बढ़ाते हैं। खुबानी दिल के लिए भी अच्छा है। इसलिए हार्ट के मरीजों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है। इसकी खास बात यह भी है कि यह आसानी से उपलब्ध होता है और इसकी कीमत बहुत अधिक नहीं होती है। आप घर पर भी इस फल को सुखा कर ड्राई फ्रूट्स बना सकते हैं।यह भारत के किस हिस्से में मिलता है?यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में, जैसे कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसी जगहों पर उगाया जाता है।हेल्थ के साथ- साथ क्या इसके ब्यूटी प्रोडक्ट्स भी अच्छे होते हैं?हां, खुबानी सेहत के साथ- साथ बालों के लिए भी अच्छा है। तेल के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है। चेहरे के लिए ग्लो मास्क, कील- मुंहासों को मिटाने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। कई एंटी एजिंग क्रीम में भी इसका खूब उपयोग होता है।

दिल से लेकर खूबसूरती के लिए जाने खुबानी के फायदे - Khubani ke fayde By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

खुबानी के फायदे - Apricot Benefits in Hindi

खुबानी (Apricot) अपनी खूबियों के लिए विश्वभर में मशहूर है। फूड लवर इसे बेहद पसंद करते हैं। खासतौर से ताजा और फ्रेश फ्रूट्स खाने वाले लोगों का यह पसंदीदा फल है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि खुबानी (apricot in hindi) का आकार जितना खूबसूरत है, उसका स्वाद उससे भी ज्यादा रसीला। खुबानी, दरअसल एक रसदार और भरपूर सुगंध से भरा फल है, जिसका उपयोग न सिर्फ कई प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है, बल्कि इसे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभदायक माना जाता है।

खुबानी यानि एप्रिकाॅट की उत्पत्ति के बारे में मान्यता है कि चार हजार साल पहले खुबानी की खेती (apricot in hindi) चीन में शुरू हुई थी। फिर जब लोग व्यापार के लिए वहां जाने लगे तो वापसी के दौरान इसे साथ देकर आने लगे। बाद में इसकी खेती यूरोप में की जाने लगी। फिर अंग्रेज इसे भी ले गये। फिलहाल विक्टोरिया इसका मुख्य उत्पादक बन गया है। स्वाद के साथ ही इसे खाने से भूख भी शांत हो जाया करती थी तो धीरे- धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। खुबानी की खूबियों ने खाने- पीने के शौकीनों को इसका दीवाना बना दिया है। तो आइये जानते हैं कि किन कारणों से खुबानी की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है।

खुबानी के पोषक गुण - Apricot Nutritional Value in Hindi

Nutrient of Apricot in Hindi

खुबानी में विटामिन ए, सी, पौटेशियम और मैंगनीज़ जैसे आवश्यक तत्वों और डाइटरी फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो सेहत को काफी लाभ पहुंचाती हैं।

खुबानी को लोग खास तौर पर नाश्ते में खाना पसंद करते हैं। इसकी गिनती बेशक मीठे खाद्य पदार्थ में की जाती है लेकिन यह सिर्फ मीठे पदार्थ के रूप में ही सीमित नहीं है। मध्य पूर्वी देशों में कई व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए, यहां तक कि मांसाहारी भोजन में भी इसे मसालों के साथ मिला कर पकाया जाता है और लोग खूब चाव से खाते हैं। इसमें ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, अच्छे कोलेस्ट्रॉल और डाइटरी फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है। 

खुबानी के स्वास्थ्य लाभ - Health Benefits of Apricot in Hindi

एंटी कैंसर

खुबानी दिखने में भले ही छोटे आकार का हो, मगर इसके कई गुण हैं। यह न सिर्फ आपका स्वाद बदलता है, बल्कि कैंसर और मधुमेह जैसी घातक बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। डॉक्टर भी इसे खाने की सलाह देते हैं। खुबानी (apricot in hindi) के बीजों में कैंसर से लड़ने वाले तत्व मौजूद होते हैं। रिसर्च में यह बात साबित भी हो गयी है कि खुबानी के बीज में पाया जाने वाला विटामिन बी 17 कैंसर से बचाता है। इसके साथ- साथ खुबानी में विटामिन ए और विटामिन सी भी अच्छी मात्रा में होता है, जो इम्युनिटी को बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद मिलती है। 

कब्ज में फायदेमंद

कब्ज की बीमारी अब आम है मगर इसकी वजह से पेट से संबंधित कई बीमारियां होने लगती हैं। कब्ज के कारण गैस, पेट दर्द और पेट से जुड़ी कई परेशानियों में खुबानी के सेवन (apricot in hindi) से राहत मिलती है। यह कब्ज की परेशानी को दूर करने में सहायक होता है। इस फल में फाइबर होता है, जिससे पाचन क्रिया दुरुस्त हो सकती है। 

Khubani Ke fayde

दिल का दोस्त

खुबानी को दिल का दोस्त भी कहा जाता है। वजह यह है कि दिल के मरीजों को खाने- पीने से संबंधित कठिन नियम मानने पड़ते हैं। ऐसे में खुबानी उनके स्वाद को बढ़ाता है। जी हां, फाइबर गुण से समृद्ध होने के कारण यह फल शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर अच्छे कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का भी काम करता है। सूखी हुई खुबानी कोरोनरी आर्टरी कैल्सीफिकेशन से भी बचाती है।

एनीमिया से दूरी

एनीमिया के कारण शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम होने लगता है। इसमें थकान, त्वचा में पीलापन, सांस लेने जैसी तकलीफें होती हैं। ऐसे में डॉक्टर का मानना है कि यह फल उन्हें राहत देता है। विटामिन- सी की मौजूदगी के कारण यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देता है। शरीर में रक्तचाप को बनाए रखने के लिए खुबानी का रोजाना सेवन किया जाना चाहिए।

अस्थमा से राहत

खुबानी में मौजूद विटामिन- सी के कारण अस्थमा के रोगियों को भी इसके सेवन करने की राय दी जाती है। विटामिन सी उच्च स्तर सांस की तकलीफ को कम करने में मदद करता है। साथ ही वह सांस की तकलीफ और संक्रमण को दूर करने में भी सहायक होता है।

आंखों के लिए बढ़िया

उम्र के साथ- साथ आंखों की परेशानियां भी धीरे- धीरे घर करने लगती हैं। ऐसे में आंखों की सेहत का ख्याल रखना भी आवश्यक है। खुबानी इसमें सहायक होता है। माना जाता है कि 40 की उम्र के बाद आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है। सही पोषण की कमी इसका बड़ा कारण है। ऐसे में खुबानी में मौजूद विटामिन सी और बी- कैरोटीन आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक होते हैं। हर दिन इसके सेवन से आंखों की रोशनी बरकरार रहती है।

तंदरुस्त हड्डियां

खुबानी यानि एप्रिकाॅट आपकी हड्डियों को भी तंदरुस्त बनाने में सहायक है। इसकी वजह है कि इसमें आवश्यक मीनिरल्स हैं, जिनमें पोटैशियम के साथ- साथ कैल्शियम की भी मात्रा शामिल है। इसमें मैंगनीज की भी मात्रा है, इसलिए यह स्वास्थ्य के साथ- साथ आपकी हड्डियों को भी मजबूत करने में सहायक होता है। हड्डियों को मजबूत करने के लिए इसका इस्तेमाल कई तरीके से किया जा सकता है, खासतौर से मीठे पकवान और मसाले से बनने वाले व्यंजन में इसका इस्तेमाल हो सकता है या फिर इसे यूं ही फल के रूप में भी खाया जा सकता है।

इलेक्ट्रोलाइट संतुलन

खुबानी के सेवन से एक अहम फायदा यह भी है कि इससे आपके शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन पूरी तरह से बरकरार रहता है। इसमें मौजूद पोटैशियम इस संतुलन में मददगार होता है, जिसके कारण हृदय रोग से बचने में आसानी होती है।

Apricot in Hindi

त्वचा के लिए अच्छा

खुबानी (एप्रिकाॅट) के न सिर्फ सेहत संबंधी फायदे हैं, बल्कि इसके सेवन से आपकी त्वचा भी बेहतरीन रहती है। इसके सेवन से एंटी एजिंग की समस्या से निजात पाई जा सकती है। रोजाना दो या तीन खुबानी का सेवन किया सकता है। यही नहीं, इसका फेस पैक बनाने में भी प्रयोग कर सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन- सी त्वचा के लिए फायदेमंद है, जो चेहरे को चमकदार बनाने में सहायक होता है। यही वजह है कि खुबानी का इस्तेमाल कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स जैसे क्रीम, स्क्रब, फेस पैक, जेल, फेसवॉश में किया जाता है। खुबानी के तेल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।

बुखार करे ठीक

खुबानी सीजनल बुखार को भी ठीक करने में सहायक होता है। इसके एंटी ऑक्सीडेंट तत्व इसमें मदद करते हैं। बुखार होने पर ऊर्जा के लिए कई बार डॉक्टर इसके सेवन की सलाह देते हैं।

डॉक्टर का कहना है कि अगर बुखार में मरीज को और कुछ भी खाने की इच्छा न हो तो खुबानी देने से उन्हें न सिर्फ ऊर्जा मिलती है, बल्कि उनके मुंह का स्वाद भी बहुत हद तक बदलता है और मिजाज अच्छा हो जाता है।

खुबानी फल के अन्य फायदे - Khubani ke Fayde in Hindi

Dried Apricot in Hindi

त्वचा और सेहत के अलावा खुबानी (एप्रिकाॅट) के अन्य फायदे भी हैं। खुबानी बालों को भी स्वस्थ रखने का काम करता है। खुबानी के तेल में मौजूद विटामिन ए और ई बालों को बढ़ाने में मदद करता है। इसके तेल का इस्तेमाल रेगुलर शैंपू और कंडीशनर में किया जाता है। इसके तेल की मालिश से स्कैल्प को काफी आराम भी मिलता है। इसके सेवन से स्कैल्प की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। गर्मी के दिनों में खुबानी के सेवन से शरीर में ठंडक बनी रहती है।

खुबानी का उपयोग व सेवन

आप खुबानी को दही के साथ मिलाकर खा सकते हैं या अपने सुबह के नाश्ते में दलिये के साथ मिला कर भी इसका सेवन कर सकते हैं।

फलों का जूस निकालते वक्त बाकी फलों के साथ इसे मिला कर खुबानी का मिल्क शेक और जूस भी तैयार किया जा सकता है, जिसे सुबह- सुबह पीना सबसे अच्छा होगा।

आप इसे धोकर ऐसे भी खा सकते हैं, यह स्वादिष्ट लगेगा। 

मीठे पकवानों में इसका उपयोग स्वाद को और बढ़ा देता है। खासतौर से मांसाहारी भोजन में इसके उपयोग से स्वाद बढ़ जाता है।

खुबानी के नुकसान - Side effects of Apricots in Hindi

यह बात तो जगजाहिर है कि किसी भी चीज की अति सही नहीं होती है, फिर चाहे वह कितना भी स्वाद से भरपूर क्यों न हो। ठीक उसी तरह खुबानी (एप्रिकाॅट) के ज्यादातर तो फायदे ही हैं लेकिन इसके सेवन को लेकर कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि खुबानी के बीजों का अत्यधिक सेवन जानलेवा रसायन का कारण भी बन सकता है। सूखे खुबानी के सेवन से आंतों में रुकावट हो सकती है। कई बार इसके सेवन से उल्टी और पेट के नीचे एबडॉमिनल दर्द भी होता है। यह बेहद जरूरी है कि आप जब खुबानी का उपयोग करें तो एक बार डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें। जिन्हें आंतों से संबंधित कोई परेशानी है, वे इसका सेवन न ही करें।

खुबानी के बारे में पूछे जाने वाले सवाल और जवाब - FAQ's

खुबानी (एप्रिकाॅट) किस- किस मौसम में खाया जा सकता है, क्या इसका कोई निर्धारित मौसम है?

नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इसका कोई मौसम निर्धारित है। हर मौसम में इसे खाया जा सकता है। हां, अगर यह फल के रूप में न मिले, तो इसे सुखा कर ड्राई फ्रूट्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बहुत कम लोग इस ड्राईफ्रूट के बारे में जानते हैं, जबकि इसमें विटामिन ए, बी, सी और ई पाया जाता है। साथ ही इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर और फॉस्फोरस भी होता है। खुबानी फाइबर का भी बेहतरीन स्त्रोत है।

एक दिन में खुबानी का कितना सेवन किया जा सकता है? इसे खाने का कौन सा समय सबसे उपयुक्त है?

अमूमन डॉक्टर की सलाह होती है कि अगर आप फल के रूप में इसे खा रहे हैं तो एक दिन में तीन और अगर सुखे हुए खुबानी खा रहे हैं तो पांच खा सकते हैं। खासतौर से डायबीटिज के मरीजों को कहा जाता है कि वे नाश्ते में खुबानी को अपनी नियमित डाइट में शामिल करें या फिर खाली पेट खा लें।

बाल वनिता महिला आश्रम

आमतौर पर लोगों का सोचना है कि ड्राई फ्रूट्स वाली चीजें वजन बढ़ाती है। क्या इसके सेवन से भी वजन बढ़ सकता है? साथ ही क्या इसकी कीमत बाकी ड्राई फ्रूट्स की तरह बहुत अधिक है?

नहीं, बिल्कुल नहीं। इसके सेवन से तो वजन नियंत्रण में फायदा होता है। इसमें अच्छे कॉलेस्ट्रॉल होते हैं, जो कि वजन घटाने में सहायक होते हैं। यह एक मिथ है कि इस तरह के सभी ड्राई फ्रूट्स वजन बढ़ाते हैं। खुबानी दिल के लिए भी अच्छा है। इसलिए हार्ट के मरीजों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है। इसकी खास बात यह भी है कि यह आसानी से उपलब्ध होता है और इसकी कीमत बहुत अधिक नहीं होती है। आप घर पर भी इस फल को सुखा कर ड्राई फ्रूट्स बना सकते हैं।

यह भारत के किस हिस्से में मिलता है?

यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में, जैसे कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसी जगहों पर उगाया जाता है।

हेल्थ के साथ- साथ क्या इसके ब्यूटी प्रोडक्ट्स भी अच्छे होते हैं?

हां, खुबानी सेहत के साथ- साथ बालों के लिए भी अच्छा है। तेल के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है। चेहरे के लिए ग्लो मास्क, कील- मुंहासों को मिटाने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। कई एंटी एजिंग क्रीम में भी इसका खूब उपयोग होता है।

Comments

Popular posts from this blog

औषधी गुणधर्म आणि हळद आणि आलेची लागवड हळदीचे गुणधर्म आलेचे गुणधर्म हळद आणि आलेची लागवड हवामान माती आणि त्याची तयारी पेरणीची वेळ प्रगत वाण बियाणे दर व बीजोपचार खते आणि खते अंतर लावत आहे अर्ज करण्याची पद्धत कृषी कार्य आणि काळजी खोदाई आणि उत्पन्न सुका आले हळद आणि आले दाणे ठेवा हळदीचे गुणधर्म मुख्यतः मसाला म्हणून वापरला जातो. हे भूक वाढवते आणि शक्तिवर्धक बनवण्यासाठी वापरली जाते. रक्त स्वच्छ करते. अंतर्गत जखम बरे करते आणि चामड्याचे संक्रमण बरे होते. हे अँटीसेप्टिक म्हणून वापरले जाते. हे सौंदर्यप्रसाधने आणि 'कुम-कुम' मध्ये वापरले जाते. खोकल्यात हळद आगीत भाजून पाण्याने बारीक केल्यास फायदा होतो. दुधाबरोबर हळद घेतल्यास दुखापतीमुळे सूज कमी होते आणि पोटाचा किडा देखील मरतो. वेदना आणि सूज वर हळद आणि चुनाची पेस्ट लावल्यास आराम मिळतो. आलेचे गुणधर्म पचन वाढवते, श्लेष्मा काढून टाकते. रक्तवाहिन्या फुटण्यामुळे रक्ताचा प्रवाह बरा होतो. लठ्ठपणा दूर करते. पोटात गॅस काढून टाकण्यासाठी भाजी किंवा कोशिंबीर बनवण्यासाठी उपयुक्त अशी एक वनस्पती आणि लिंबाचा रस वापरणे फायदेशीर आहे (50 ग्रॅम आल्याची पावडर आणि 30 ग्रॅम भाजी किंवा कोशिंबीर बनवण्यासाठी उपयुक्त अशी एक वनस्पती आणि एक लिंबाचा रस). आवाज बंद झाल्यावर मध सह आलेचा रस खाल्ला जातो. बद्धकोष्ठता आणि खोकला देखील आल्याचे सेवन फायदेशीर आहे. हळद आणि आलेची लागवड हळद आणि आले दोन्ही मसालेदार भाज्या आहेत ज्यांची शेती आपल्या देशात मोठ्या प्रमाणात केली जाते. भाज्यांमध्ये हे मसाले वापरण्याव्यतिरिक्त हे औषध म्हणून देखील वापरले जात आहे. हळदीचा वापर भाजीपाला मध्ये होतो. आल्याची परदेशातही निर्यात केली जाते, ज्यामुळे परकीय चलन मिळते. चोटनागपूरमध्येही त्यांची लागवड करुन शेतक good्यांना चांगले उत्पन्न मिळू शकते. सुरुवातीला त्यांच्या लागवडीसाठी भरपूर भांडवल आवश्यक असते. बियाण्यांवर जास्त खर्च होतो. जर शेतक next्यांनी पुढील वर्षासाठी बियाणे ठेवले तर पहिल्या वर्षामध्येच भांडवल गुंतविण्याची गरज भासू शकेल. हवामान हे गरम आणि ओले दोन्ही हवामानात चांगले उत्पादन देते. खरीप हंगामात त्यांची लागवड केली जाते. वनस्पतींचा विकास करण्यासाठी हलका पाऊस चांगला आहे. पिकण्याच्या वेळी पाऊस पडणे आवश्यक नसते. जेथे पाऊस 1000-11400 मी. ते एक लिटर पर्यंत यशस्वीरित्या लागवड करता येते. या अर्थाने, पठाराचे क्षेत्र त्यांच्या लागवडीसाठी योग्य आहे. या साठी पुरेसा पाऊस आहे. हळद आणि आले लावण्यासाठी सुमारे 30 डिग्री तपमान आवश्यक आहे. हळद आणि आल्याची छाया छायादार ठिकाणीही करता येते. घराच्या उत्तरेकडील किंवा झाडाच्या उत्तरेकडील भागात कमी सूर्यप्रकाश असल्यास यशस्वीरित्या लागवड करता येते. माती आणि त्याची तयारी हळद आणि आले दोघेही जमिनीखालून बसतात, त्यामुळे हलकी माती असणे आवश्यक आहे. मातीतील पाण्याचा निचरा चांगला असावा. वालुकामय चिकणमाती ते चिकणमाती माती योग्य आहे. मातीत पुरेसे प्रमाणात बॅक्टेरिया असणे आवश्यक आहे. अल्कधर्मी मातीत चांगले उत्पादन मिळत नाही. शेतकरी बांधवानेही जमीन बदलतच राहावी आणि सलग तीन वर्षे त्याच शेतात शेती करु नये. बर्‍याच वर्षांपासून एकाच शेतात सतत शेती केल्यास रोग होण्याची शक्यता वाढते. शेत तयार करण्यासाठी एकदा नांगरणी करुन माती नांगरणी करुन आणि नांगरणीनंतर तीन ते चार वेळा नांगरणी केल्यास ती माती ठिसूळ होईल जी जमिनीपासून 10-15 सें.मी. उंच असावी. पेरणीची वेळ हळद आणि आले सुमारे आठ महिन्यांत तयार होते, म्हणून त्यांची पेरणी सुरू करणे आवश्यक आहे जेणेकरून त्यांना वाळण्यास पुरेसा वेळ मिळेल. जर सिंचन करावयाचे असेल तर त्यांना मेच्या मध्यावर पेरणी करा. जर तुम्हाला पावसाळी शेती करायची असेल तर पावसाळा पाऊस पडताच पेरणी करा. प्रगत वाण हळदीचे 'पटना' म्हणून ओळखले जाणारे वाण बिहार आणि बंगालमध्ये पाळले जाते. राजेंद्र कृषी विद्यापीठाने निवडलेली वाण 'मीनापूर' असून ती मध्ययुगीन आहे. राजेंद्र सोनिया जाती या प्रदेशात चांगले उत्पादन देते. कृष्णा, कस्तुरी, सुगंधम, रोमा, सुरोभा, सुदर्शन, रंगा आणि रशिम हळदीच्या इतर जाती आहेत. बियाणे दर व बीजोपचार बियाणे काळजीपूर्वक निवडा. एक निरोगी आणि रोग-मुक्त राइझोम निवडा. लांब नॉट ज्यात तीन ते चार निरोगी कळ्या असतात ते बियाण्यास योग्य असतात. मोठे राईझोम देखील कापून ते लागू करता येतात. कट करून राइझोमवर उपचार करणे आवश्यक आहे आणि कापताना हे लक्षात ठेवावे की प्रत्येक तुकड्यात किमान दोन-तीन कळ्या असणे आवश्यक आहे. एक हेक्टर क्षेत्रासाठी लागवडीसाठी सुमारे 20-25 क्विंटल राईझोम बियाणे आवश्यक आहे. कट करताना कमी rhizome आवश्यक आहे. रोप लावण्यापूर्वी rhizome चा उपचार करणे आवश्यक आहे, विशेषत: rhizome कापताना. यासाठी इंडोफिल एम -45 नावाच्या औषधाचे 0.2 टक्के द्रावण तयार केले जावे. एका लिटर पाण्यात 2 ग्रॅम औषध जोडल्यानंतर 0.2 टक्के द्रावण तयार होईल. आपण बॅबिस्टाइन नावाच्या औषधाचे 0.1 टक्के द्रावण देखील वापरू शकता. 0.1 टक्के द्रावण तयार करण्यासाठी, एक लिटर पाण्यात 1 ग्रॅम औषध घाला. स्लरी तयार करताना दोन्ही औषधांचे मिश्रण अधिक उपयुक्त असल्याचे आढळले. राईझोम बरा करण्यासाठी १ तासाला द्रावणात h तास ठेवा आणि त्यानंतर ते द्रावणातून काढून २ 24 तास एखाद्या अंधुक ठिकाणी ठेवा. त्यानंतरच त्यांनी ते पेरले. बियाणे राइझोमचा वापर 0.25% अगारोल किंवा सारीसन किंवा ब्लॅटाक्सच्या द्रावणामध्ये देखील केला जाऊ शकतो. खते आणि खते प्रति हेक्टर - कंपोस्ट: 20 क्विंटल युरिया: 200-225 किलो एसएसपी : 300 किलो एमओपी : 80-90 किलो कंपोस्ट शेतात तयार करताना मातीमध्ये चांगले मिसळा. शेताची अंतिम तयारी करताना पोटॅशचे निम्मे प्रमाण आणि एन फॉस्फरस द्यावे. पेरणीनंतर days० दिवसानंतर अर्धा युरिया आणि उर्वरित अर्धा पोटाश द्या. उरलेले अर्धे यूरिया पेरणीनंतर 90 ० दिवसांनी द्यावे व माती द्या. अंतर लावत आहे हळद: 45 सेमी x 15 सेमी आले: 40 सें.मी. x 10 सेमी अर्ज करण्याची पद्धत निचरा आणि गॅस मध्ये लागू. पावसाळ्यात उंच बेड बनवा. (अ) उन्हाळ्यात हळद आणि आले पेरण्यासाठी, एक ट्रेचा 15-25 सेंमी खोल आणि तितकाच 40-45 सेंमीच्या अंतरावर रुंद केला जातो. नाल्यात कंपोस्ट आणि रासायनिक खताचे मिश्रण देऊन ते मातीत चांगले मिसळतात. बियाणे नाल्यात 10 सेमी अंतरावर राईझोम पेरतात आणि माती झाकतात. माती झाकताना, काळजी घ्या की नाले जमिनीच्या खाली थोडेसे राहील जेणेकरुन उन्हाळ्यात पाणी देण्याची सोय होईल. पावसाच्या आगमनाने, पाणी गोठू नये म्हणून मातीचे ढीग केले आहेत. (ब) पावसाळ्यात हळद आणि आले लावण्यासाठी लहान बेड जमिनीपासून 8-10 सें.मी. उंच असावेत, जेणेकरून पावसात पाणी नसेल. 3.20 मीटर लांब आणि 1 मीटर रूंदीचे बेड बनवू शकतात. या बेडांमध्ये, पेरणी ओळीपासून 40 सेंमी आणि वनस्पतीपासून 10 सें.मी. अंतरावर केली जाते. पेरणीसाठी, आम्ही 10 सें.मी. खोलीचे निचरा बनवितो आणि त्या नाल्यात 10 सेमी अंतरावर राईझोम पेरतो. पेरणीच्या वेळी डोळा (अंकुर) राईझोममध्ये वरच्या बाजूस असावा. पेरणीनंतर, rhizome माती सह संरक्षित आहे. यानंतर आम्ही सिंचन देतो. पेरणीनंतर बियाणे 5- ते cm सें.मी. जाड आंबा, गुलाबवुड, तण किंवा शेण कुजलेले खत घाला जेणेकरून ओलावा टिकून राहील. यापेक्षा तणही कमी वाढेल. कृषी कार्य आणि काळजी शेतात तणमुक्त ठेवणे आवश्यक आहे. यासाठी आपण तीन ते चार वेळा केले पाहिजे. शेवटची वेळ चिखल मातीने करावी. सुरुवातीला दोन ते तीन सिंचन आवश्यक असू शकते. पावसाळ्यामध्ये सिंचन देण्याची गरज भासणार नाही, परंतु पाण्याची भीड नसल्याचे सुनिश्चित करा. जेव्हा फुले बाहेर येतात तेव्हा त्यांना बाहेर फेकून द्या. एखाद्या तज्ञाचा सल्ला घेऊन कीटक व आजारांपासून पीक वाचवा. खोदाई आणि उत्पन्न आल्याचे पीक सुमारे आठ ते नऊ महिन्यांत आणि हळद नऊ ते दहा महिन्यांत खोदण्यास योग्य ठरते जेव्हा झाडाची पाने पिवळ्या रंगाची आणि वाळलेली आणि वाकलेली दिसतात तेव्हा हे समजून घ्यावे की आता खोदण्याची योग्य वेळ आहे. यावेळी, फटके मारुन काळजीपूर्वक काढा. कच्च्या हळदचे उत्पादन प्रति हेक्टरी -4००--450० क्विंटल आणि कोरडी हळद १ 15 ते २ percent टक्के पर्यंत मिळते. आलेचे उत्पादन प्रति हेक्टरी 200 क्विंटल आहे. आले खोडून काढल्यानंतर ते दोन किंवा तीन वेळा पाण्याने धुवा आणि धूळ स्वच्छ करा. यानंतर, तीन ते चार दिवस हलक्या उन्हात वाळवा. हळद गाठ धुवून चांगले स्वच्छ करा. यानंतर, जेव्हा गठ्ठ्या पाण्यात 0.1% चुना मिसळल्या जातात, जेव्हा उकळत्या फेस येऊ लागतात आणि हळद सारखा वास येतो, तेव्हा rhizome घ्या आणि 10-15 दिवस सावलीत वाळवा. सुका आले आले कोरडे करण्यासाठी आल्याची गठ्ठ्या व्यवस्थित ट्रिम करुन पाण्यात टाका. जेव्हा त्याची त्वचा वितळते तेव्हा ती आठवड्यातून स्वच्छ आणि उन्हात वाळवावी. यानंतर, चुना पाणी आणि गंधक सह उपचार, नंतर उन्हात ठेवले. अशा प्रकारे, आल्याचा सुमारे 1/5 भाग कोरडा आल्याच्या स्वरूपात आढळतो. समाजसेवक वनिता कसानी पंजाब यांनी केले. हळद आणि आले दाणे ठेवा पुढील वर्षासाठी शेतकरी बांधव बियाणे rhizome ठेवणे आवश्यक आहे. यासाठी, खड्डा 1 मीटर खोल आणि 50 सेंमी रुंद छायादार ठिकाणी बनविला गेला आहे. बियाणे rhizome इंडोफिल एम 45 किंवा Babistein द्वारे उपचार केला जातो. खड्ड्याच्या पृष्ठभागावर, 20 सेमी वाळू विश्रांती घेते. याच्या वरच्या cm० सेंमीच्या थराला rhizome आहे. या वर, वाळूचा थर देऊन नंतर राईझोमचा थर द्या. अशाप्रकारे, र्‍झोझोम खड्ड्यात ठेवून, खड्ड्याला देठाने झाकून ठेवा. खड्डा आणि राइझोम दरम्यान, हवेसाठी 10 सेमी रिक्त जागा सोडा. यानंतर, आम्ही ते मातीच्या माथ्यावरुन लागू करतो. अशाप्रकारे, पुढच्या हंगामात बियाणे पेरणी केल्याने राईझोम सुरक्षित राहील.

ਹਲਦੀਹਲਦੀ (ਹਲਦੀ) ਇਕ ਭਾਰਤੀ ਖਾਣ ਵਾਲੀ ਸਬਜ਼ੀ ਹੈ.ਇਕ ਹੋਰ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹੋਡਾ .ਨਲੋਡਆਪਣਾ ਖਿਆਲ ਰੱਖਣਾਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋ By Vnita Kasnia.ਹਲਦੀ ਭਾਰਤੀ ਪੌਦਾ ਹੈ . ਇਹ ਅਦਰਕ ਜਾਤੀਆਂ ਦਾ 5-8 ਫੁੱਟ ਉੱਗਣ ਵਾਲਾ ਪੌਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਜੜ੍ਹ ਦੇ ਨੋਡਾਂ ਵਿਚ ਪਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਇਕ ਚਮਤਕਾਰੀ ਪਦਾਰਥ ਵਜੋਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਚਿਕਿਤਸਕ ਟੈਕਸਟ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਦਾ ਨਾਮ ਹਰਿਦ੍ਰਾ, ਕੁਰਕੁਮਾ ਲੌਂਗਾ, ਵਰਵਰਨੀ, ਗੌਰੀ, ਕਰੀਮਘਨਾ ਯੋਸ਼ਿਤਾਪ੍ਰਿਯਾ, ਹੱਟਵਿਲਾਸਾਨੀ, ਹਰਦਾਲ, ਕੁਮਕੁਮ, ਤਿਰਮਰਿਕ ਹੈ। ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਦਵਾਈ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ. ਇਹ ਭਾਰਤੀ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਤੌਰ ਤੇ ਬਹੁਤ ਸ਼ੁੱਭ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਵਿਆਹ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਦੇ ਰਸ ਦੀ ਆਪਣੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ.ਲਾਤੀਨੀ ਨਾਮ: ਕਰਕੁਮਾ ਲੋਂਗਾਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਨਾਮ: ਹਲਦੀਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਨਾਮ: ਜਿਨਜੀਆਂਗਹਲਦੀ ਦਾ ਪੌਦਾ: ਇਸਦੇ ਪੱਤੇ ਵੱਡੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ.ਲੰਬੇ ਆਯੁਰਵੈਦਿਕ ਦਵਾਈ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਇਸ ਨੂੰ ਵਿੱਚ ਵਰਤਿਆ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਜਾਣਿਆ ਗਿਆ ਹੈ Haridra [1] , ਅਮਰੀਕੀ ਖੁਰਾਕ ਤੇ ਡਰੱਗ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਅਨੁਸਾਰ [2] [3] , ਹਲਦੀ ਕਿਸੇ ਵੀ ਬਿਮਾਰੀ ਦਾ ਇਲਾਜ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜ ਇਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਵੀ ਹੈ ਉੱਚ-ਗੁਣਵੱਤਾ ਕਲੀਨਿਕਲ ਸਬੂਤ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਲਈ , ਕਰਕੁਮਿਨ .ਜਾਣ ਪਛਾਣ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਹਲਦੀ ਵਿਚ 5.8% ਜਲਣਸ਼ੀਲ ਤੇਲ, ਪ੍ਰੋਟੀਨ 6.3%, ਤਰਲ 5.1%, ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥ 3.5%, ਅਤੇ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ 68.4% ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦਾ ਰੰਗ ਕਰਕੁਮਿਨ, ਵਿਟਾਮਿਨ ਏ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ, ਗਠੀਏ , ਖੂਨ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ, ਕੈਂਸਰ , ਜਰਾਸੀਮੀ ਲਾਗ, ਹਾਈ ਬਲੱਡ ਪ੍ਰੈਸ਼ਰ ਅਤੇ ਐਲਡੀਐਲ ਕੋਲੈਸਟ੍ਰੋਲ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਟੁੱਟਣ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਵਿਚ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਕਫਾ-ਵਟਾ ਸੈਡੇਟਿਵ, ਪਿਟਾ ਲਚਕਦਾਰ ਅਤੇ ਪਥਰ ਸੈਡੇਟਿਵ ਹੈ. ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਖੂਨ ਦੀ ਸਟੈਸੀਜ਼, ਪਿਸ਼ਾਬ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ, ਗਰਭ, ਕੜਵੱਲ, ਚਮੜੀ ਰੋਗ, ਵੈਟਾ-ਪਿਤ-ਬਲਗਮ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਫਾਇਦੇਮੰਦ ਹੈ. ਇਹ ਜਿਗਰ ਦੇ ਵਾਧੇ ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਪਲਸ ਕੋਲਿਕ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ, ਐਨਓਰੇਕਸਿਆ (ਭੁੱਖ ਦੀ ਕਮੀ), ਕਬਜ਼, ਖੰਡ, ਜਲ ਦੇ ਸਰੀਰ ਅਤੇ ਕੀੜੇ ਦੇ ਰੋਗ.ਇਹ ਲਾਭਕਾਰੀ ਵੀ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ. ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਾਲੀ ਹਲਦੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਦੀ ਇਕ ਕਿਸਮ ਹੈ. ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਕਾਲੀ ਹਲਦੀ ਪੀਲੀ ਹਲਦੀ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ.ਹਲਦੀ ਦੀ ਜੜ੍ਹਹਲਦੀ ਪਾ powderਡਰਵਰਤੋਂ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਹਲਦੀ ਰਸੋਈ ਦੀ ਖੂਬਸੂਰਤੀ ਦੇ ਨਾਲ , ਕਈ ਚਿਕਿਤਸਕ ਗੁਣਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ . ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਹਲਦੀ ਗੱਮ ਦੇ ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਮਦਦਗਾਰ ਹੈ, ਨਾਲ ਹੀ ਇਹ ਖੰਘ ਅਤੇ ਖਾਂਸੀ ਸਮੇਤ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦੇ ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਵੀ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਸੁੰਦਰਤਾ ਵਧਾਉਣ ਵਾਲਾ ਵੀ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਹੀ ਇਸ ਨੂੰ ਰੂਪ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ. ਇਸ ਸਮੇਂ, ਹਲਦੀ ਉਬਾਲਣ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਵੱਖ ਵੱਖ ਕਰੀਮਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ.By Vnita Punjabਵੱਖ ਵੱਖ ਮਨੁੱਖੀ ਰੋਗਾਂ ਅਤੇ ਸਥਿਤੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਨਿਦਾਨ ਦੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹਲਦੀ ਅਤੇ ਕਰਕੁਮਿਨ (ਏ), ਟੈਸਟਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ; ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਜਾਂ ਬੇਲੋੜੀ ਘਾਟ, ਕਿਸੇ ਨੇ ਵੀ ਉੱਚ ਗੁਣਵੱਤਾ ਦਾ ਪ੍ਰਮਾਣ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤਾ. [2] []] []] ਮਨੁੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਕਲੀਨਿਕਲ ਅਜ਼ਮਾਇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਉੱਚ ਗੁਣਵੱਤਾ ਦਾ ਕੋਈ ਸਬੂਤ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ ਕਿ ਕਰਕੁਮਿਨ (2020 ਤੱਕ) ਸੋਜਸ਼ ਨੂੰ ਘਟਾਉਂਦਾ ਹੈ . [2] [3]

Turmeric  Turmeric (turmeric) is an Indian edible vegetable.  Read in another language  Download  Take care of yourself  Edit By Vnita Kasnia.  Turmeric is an Indian plant. It is a 5-8 foot tall plant of the genus Ginger in which turmeric is found in the root nodes. Turmeric has been considered a miracle ingredient in Ayurveda since ancient times. Apart from turmeric in medical texts, its names are Haridra, Kurkuma Longa, Varvarni, Gauri, Karimghana Yoshitapriya, Hatvilasani, Hardal, Kumkum, Tirmarik. Turmeric is said to be an important medicine in Ayurveda. It holds an important place in Indian cuisine and is considered religiously auspicious. Turmeric juice has its own special significance in marriage.  Latin Name: Karkuma Longa  English name: Turmeric  Family Name: Xinjiang  Turmeric plant: Its leaves are large.  Turmeric has long been used in Ayurvedic medicine where it is used, but also known as Haridra [1], according to ...