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, खांसते-खांसते हो चुके हैं परेशान तो इन 7 तरीकों से मिनटों में दूर करें पुरानी खांसी, एक बार जरूर आजमाएं By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबखांसते-खांसते हो चुके हैं परेशान तो इन 7 तरीकों से मिनटों में दूर करें पुरानी खांसी, एक बार जरूर आजमाएं खांसी भी एक ऐसी समस्या है, जो मौसम में बदलाव से आपको दिक्कत दे सकती है। मौसम की जरा सी करवट लोगों को खांसी और जुकाम जैसी समस्याएं दे सकती है। अगर खांसी का समय रहते इलाज न किया जाए तो ये टीबी का रूप ले सकती है। घरेलू नुस्‍ख बदलता मौसम अपने साथ कई बीमारियां लेकर आता है और मानसून के मौसम में खासकर सिरदर्द, जुकाम और खांसी की समस्या आम होती है। इन सामान्य सी दिखने वाली बीमारियों का अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो ये आपके शरीर में गंभीर समस्या पैदा कर देती है। खांसी भी एक ऐसी समस्या है, जो मौसम में बदलाव से आपको दिक्कत दे सकती है। मौसम की जरा सी करवट लोगों को खांसी और जुकाम जैसी समस्याएं दे सकती है। अगर खांसी का समय रहते इलाज न किया जाए तो ये टीबी का रूप ले सकती है। हालांकि खांसी होने पर ये पता होना जरूरी है कि आपको कैसी खांसी है। सूखी खांसी और बलगम वाली खांसी ज्यादातर लोगों को परेशान करती है।'खांसी चाहे बड़े को हो या फिर बच्चों को सभी को परेशान कर देती है। ये एक ऐसी समस्या है जो घर के किसी भी सदस्य को होने पर पूरे घर को तकलीफ में डाल देती है। खांसी होने पर इंसान को अपने सभी काम करने में दिक्कत आती है और उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता। अगर आप भी बाजार से खांसी का सिरप ले लेकर परेशान हो गए हैं और आपकी खांसी जाने का नाम नहीं ले रही है तो हम आपको इसी समस्या से निजात पाने का बेहद आसान और अचूक उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे आजमाकर आप मिनटों में खांसी की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।खांसी को दूर करने के असरदार उपायअगर आप काफी समय से खांसी की समस्या से परेशान हैं तो एक चम्मच शहद लेकर उसे चाट लें। ऐसा करने से आपके शरीर में बनने वाला कफ जल्द ही निकल जाएगा और खांसी से राहत मिलेगी।इसे भी पढ़ेंः हड्डियों से आ रही कट-कट की आवाज तो तुरंत खाना शुरू कर दें ये 3 चीजें, इस बीमारी से रहेंगे हमेशा दूरअगर आप खांसी की समस्या को जड़ से मिटाने चाहते हैं तो एक चम्मच शहद में आंवले के पाउडर की थोड़ी मात्रा मिलाएं और सुबह-शाम उसका उसका सेवन करें। नियमित रूप से ऐसा करने से खांसी की समस्या से राहत मिलेगी।दवाईयां खाने के बाद भी अगर खांसी कम नहीं हो रही है और खांसते-खांसते आपके सीने में दर्द हो गया है, तो आप सरसों तेल को गर्म करके उसमे थोडा कपूर मिला कर अच्छी तरह से छाती और पीठ की मालिश करें। दिन में तीन बार तक ऐसा करने से खांसी की समस्या और दर्द से छुटकारा मिलता है।अगर आप जल्द से जल्द खांसी को ठीक करना चाहते हैं तो एक चम्मच हल्दी पाउडर को दूध में मिलाकर पीएं। ऐसा करने से खांसी की समस्या से निजात मिलती है।इसे भी पढ़ेंः इन 4 आसान तरीकों से बढ़ाएं अपनी पाचन शक्ति, बढ़ेगी भूख और शरीर रहेगा तंदरुस्तअगर आपको सूखी खांसी है तो एक बतासे में थोडा सा लौंग का तेल लगाकर खा लें। ऐसा करने से आपको सूखी खांसी में काफी राहत मिलेगी।इसके अलावा आप सूखी खांसी से राहत पाने के लिए आप मुंह में सौंफ रखकर चबाएं। नियमित रूप से ऐसा करने से खांसी से छुटकारा मिलता है।खांसी से छुटकारा पाने का सबसे अचूक तरीका है गाय के घी को लेकर उसे छाती पर मलना। दिन में दो बार ऐसा करने से भी खांसी में जल्दी आराम मिलता है।Read More Articles On Home Remedies In Hindi DisclaimerTAGSखांसी से छुटकारा कैसे पाएं खांसी दूर करने के घरेलू नुस्खे खांसी कैसे दूर करें खांसी में क्या खाएं Cough Cold and Cough how to get rid of cough how to get rid of cough in hindi Cold and Cough in hindi Cold and Cough problemFor You +सुबह सोकर उठने पर सबसे पहले पानी पीना है अच्छी आदत, जानिए खाली पेट पानी पीने के 10 फायदेसुबह सोकर उठने पर सबसे पहले पानी पीना है अच्छी आदत, जानिए खाली पेट पानी पीने के 10 फायदेPostpartum Depression: बच्चे को जन्म देने के बाद डिप्रेशन का शिकार हुई इस महिला की कहानी से समझें इस समस्या कोPostpart

If you have been coughing and getting upset, then in these 7 ways, remove chronic cough in minutes, definitely try once by social worker Vanita Kasani Punjab
 If you are already coughing, then if you are troubled, then in these 7 ways, relieve chronic cough in minutes, definitely try once.
 Cough is also a problem, which can trouble you due to change in the weather. A slight movement of the weather can give people problems such as cough and cold. If the cough is not treated in time, it can take the form of TB.
 Household tips
 
 
 
 
 
 The changing season brings many diseases along with it, and headache, cold and cough problems are common during the monsoon season. If these common-looking diseases are not treated at the right time, they cause serious problems in your body. Cough is also a problem, which can trouble you due to change in the weather. A slight movement of the weather can give people problems like cough and cold. If cough is not treated in time, it can take the form of TB. However, in case of cough, it is important to know how you cough. Dry cough and mucus cough bother most people. '





 Whether it is a cough or a big one, it troubles children. This is a problem that hurts the entire house if any member of the house is there. A person has difficulty in doing all his work due to cough and does not mind in any work. If you too are worried about taking cough syrup from the market and your cough is not being known, then we are going to tell you a very easy and surefire way to get rid of this problem, which you can try and cure cough in minutes Can get rid of the problem.


 Effective measures to relieve cough
 If you have been suffering from cough problem for a long time then lick it with a spoon of honey. By doing this, the phlegm formed in your body will soon come out and you will get relief from cough.
 Also read: If you hear the sound of cuts coming from your bones, start eating these 3 things immediately, you will always stay away from this disease


 If you want to eliminate the problem of cough from the root, then add a small amount of amla powder to one teaspoon of honey and consume it in the morning and evening. Doing this regularly will relieve the problem of cough.
 Even after eating medicines, if the cough is not subsiding and you have a coughing chest, then you must heat mustard oil and mix some camphor in it and massage the chest and back thoroughly. Doing this thrice a day relieves cough problem and pain.
 If you want to cure cough as soon as possible, drink one spoon of turmeric powder mixed with milk. By doing this, you get rid of the problem of cough.
 Also read: Increase your digestive power, increase appetite and body will remain healthy in these 4 easy ways

 If you have a dry cough, eat a little bit of clove oil and eat it. By doing this you will get a lot of relief in dry cough.
 Apart from this, to get relief from dry cough, you should chew with aniseed in the mouth. Doing this regularly relieves cough.
 The best way to get rid of cough is to take cow's ghee and rub it on the chest. Doing this twice a day also provides quick relief in cough.
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 How to get rid of cough, home remedies for cough, how to relieve cough, what to eat in cough
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औषधी गुणधर्म आणि हळद आणि आलेची लागवड हळदीचे गुणधर्म आलेचे गुणधर्म हळद आणि आलेची लागवड हवामान माती आणि त्याची तयारी पेरणीची वेळ प्रगत वाण बियाणे दर व बीजोपचार खते आणि खते अंतर लावत आहे अर्ज करण्याची पद्धत कृषी कार्य आणि काळजी खोदाई आणि उत्पन्न सुका आले हळद आणि आले दाणे ठेवा हळदीचे गुणधर्म मुख्यतः मसाला म्हणून वापरला जातो. हे भूक वाढवते आणि शक्तिवर्धक बनवण्यासाठी वापरली जाते. रक्त स्वच्छ करते. अंतर्गत जखम बरे करते आणि चामड्याचे संक्रमण बरे होते. हे अँटीसेप्टिक म्हणून वापरले जाते. हे सौंदर्यप्रसाधने आणि 'कुम-कुम' मध्ये वापरले जाते. खोकल्यात हळद आगीत भाजून पाण्याने बारीक केल्यास फायदा होतो. दुधाबरोबर हळद घेतल्यास दुखापतीमुळे सूज कमी होते आणि पोटाचा किडा देखील मरतो. वेदना आणि सूज वर हळद आणि चुनाची पेस्ट लावल्यास आराम मिळतो. आलेचे गुणधर्म पचन वाढवते, श्लेष्मा काढून टाकते. रक्तवाहिन्या फुटण्यामुळे रक्ताचा प्रवाह बरा होतो. लठ्ठपणा दूर करते. पोटात गॅस काढून टाकण्यासाठी भाजी किंवा कोशिंबीर बनवण्यासाठी उपयुक्त अशी एक वनस्पती आणि लिंबाचा रस वापरणे फायदेशीर आहे (50 ग्रॅम आल्याची पावडर आणि 30 ग्रॅम भाजी किंवा कोशिंबीर बनवण्यासाठी उपयुक्त अशी एक वनस्पती आणि एक लिंबाचा रस). आवाज बंद झाल्यावर मध सह आलेचा रस खाल्ला जातो. बद्धकोष्ठता आणि खोकला देखील आल्याचे सेवन फायदेशीर आहे. हळद आणि आलेची लागवड हळद आणि आले दोन्ही मसालेदार भाज्या आहेत ज्यांची शेती आपल्या देशात मोठ्या प्रमाणात केली जाते. भाज्यांमध्ये हे मसाले वापरण्याव्यतिरिक्त हे औषध म्हणून देखील वापरले जात आहे. हळदीचा वापर भाजीपाला मध्ये होतो. आल्याची परदेशातही निर्यात केली जाते, ज्यामुळे परकीय चलन मिळते. चोटनागपूरमध्येही त्यांची लागवड करुन शेतक good्यांना चांगले उत्पन्न मिळू शकते. सुरुवातीला त्यांच्या लागवडीसाठी भरपूर भांडवल आवश्यक असते. बियाण्यांवर जास्त खर्च होतो. जर शेतक next्यांनी पुढील वर्षासाठी बियाणे ठेवले तर पहिल्या वर्षामध्येच भांडवल गुंतविण्याची गरज भासू शकेल. हवामान हे गरम आणि ओले दोन्ही हवामानात चांगले उत्पादन देते. खरीप हंगामात त्यांची लागवड केली जाते. वनस्पतींचा विकास करण्यासाठी हलका पाऊस चांगला आहे. पिकण्याच्या वेळी पाऊस पडणे आवश्यक नसते. जेथे पाऊस 1000-11400 मी. ते एक लिटर पर्यंत यशस्वीरित्या लागवड करता येते. या अर्थाने, पठाराचे क्षेत्र त्यांच्या लागवडीसाठी योग्य आहे. या साठी पुरेसा पाऊस आहे. हळद आणि आले लावण्यासाठी सुमारे 30 डिग्री तपमान आवश्यक आहे. हळद आणि आल्याची छाया छायादार ठिकाणीही करता येते. घराच्या उत्तरेकडील किंवा झाडाच्या उत्तरेकडील भागात कमी सूर्यप्रकाश असल्यास यशस्वीरित्या लागवड करता येते. माती आणि त्याची तयारी हळद आणि आले दोघेही जमिनीखालून बसतात, त्यामुळे हलकी माती असणे आवश्यक आहे. मातीतील पाण्याचा निचरा चांगला असावा. वालुकामय चिकणमाती ते चिकणमाती माती योग्य आहे. मातीत पुरेसे प्रमाणात बॅक्टेरिया असणे आवश्यक आहे. अल्कधर्मी मातीत चांगले उत्पादन मिळत नाही. शेतकरी बांधवानेही जमीन बदलतच राहावी आणि सलग तीन वर्षे त्याच शेतात शेती करु नये. बर्‍याच वर्षांपासून एकाच शेतात सतत शेती केल्यास रोग होण्याची शक्यता वाढते. शेत तयार करण्यासाठी एकदा नांगरणी करुन माती नांगरणी करुन आणि नांगरणीनंतर तीन ते चार वेळा नांगरणी केल्यास ती माती ठिसूळ होईल जी जमिनीपासून 10-15 सें.मी. उंच असावी. पेरणीची वेळ हळद आणि आले सुमारे आठ महिन्यांत तयार होते, म्हणून त्यांची पेरणी सुरू करणे आवश्यक आहे जेणेकरून त्यांना वाळण्यास पुरेसा वेळ मिळेल. जर सिंचन करावयाचे असेल तर त्यांना मेच्या मध्यावर पेरणी करा. जर तुम्हाला पावसाळी शेती करायची असेल तर पावसाळा पाऊस पडताच पेरणी करा. प्रगत वाण हळदीचे 'पटना' म्हणून ओळखले जाणारे वाण बिहार आणि बंगालमध्ये पाळले जाते. राजेंद्र कृषी विद्यापीठाने निवडलेली वाण 'मीनापूर' असून ती मध्ययुगीन आहे. राजेंद्र सोनिया जाती या प्रदेशात चांगले उत्पादन देते. कृष्णा, कस्तुरी, सुगंधम, रोमा, सुरोभा, सुदर्शन, रंगा आणि रशिम हळदीच्या इतर जाती आहेत. बियाणे दर व बीजोपचार बियाणे काळजीपूर्वक निवडा. एक निरोगी आणि रोग-मुक्त राइझोम निवडा. लांब नॉट ज्यात तीन ते चार निरोगी कळ्या असतात ते बियाण्यास योग्य असतात. मोठे राईझोम देखील कापून ते लागू करता येतात. कट करून राइझोमवर उपचार करणे आवश्यक आहे आणि कापताना हे लक्षात ठेवावे की प्रत्येक तुकड्यात किमान दोन-तीन कळ्या असणे आवश्यक आहे. एक हेक्टर क्षेत्रासाठी लागवडीसाठी सुमारे 20-25 क्विंटल राईझोम बियाणे आवश्यक आहे. कट करताना कमी rhizome आवश्यक आहे. रोप लावण्यापूर्वी rhizome चा उपचार करणे आवश्यक आहे, विशेषत: rhizome कापताना. यासाठी इंडोफिल एम -45 नावाच्या औषधाचे 0.2 टक्के द्रावण तयार केले जावे. एका लिटर पाण्यात 2 ग्रॅम औषध जोडल्यानंतर 0.2 टक्के द्रावण तयार होईल. आपण बॅबिस्टाइन नावाच्या औषधाचे 0.1 टक्के द्रावण देखील वापरू शकता. 0.1 टक्के द्रावण तयार करण्यासाठी, एक लिटर पाण्यात 1 ग्रॅम औषध घाला. स्लरी तयार करताना दोन्ही औषधांचे मिश्रण अधिक उपयुक्त असल्याचे आढळले. राईझोम बरा करण्यासाठी १ तासाला द्रावणात h तास ठेवा आणि त्यानंतर ते द्रावणातून काढून २ 24 तास एखाद्या अंधुक ठिकाणी ठेवा. त्यानंतरच त्यांनी ते पेरले. बियाणे राइझोमचा वापर 0.25% अगारोल किंवा सारीसन किंवा ब्लॅटाक्सच्या द्रावणामध्ये देखील केला जाऊ शकतो. खते आणि खते प्रति हेक्टर - कंपोस्ट: 20 क्विंटल युरिया: 200-225 किलो एसएसपी : 300 किलो एमओपी : 80-90 किलो कंपोस्ट शेतात तयार करताना मातीमध्ये चांगले मिसळा. शेताची अंतिम तयारी करताना पोटॅशचे निम्मे प्रमाण आणि एन फॉस्फरस द्यावे. पेरणीनंतर days० दिवसानंतर अर्धा युरिया आणि उर्वरित अर्धा पोटाश द्या. उरलेले अर्धे यूरिया पेरणीनंतर 90 ० दिवसांनी द्यावे व माती द्या. अंतर लावत आहे हळद: 45 सेमी x 15 सेमी आले: 40 सें.मी. x 10 सेमी अर्ज करण्याची पद्धत निचरा आणि गॅस मध्ये लागू. पावसाळ्यात उंच बेड बनवा. (अ) उन्हाळ्यात हळद आणि आले पेरण्यासाठी, एक ट्रेचा 15-25 सेंमी खोल आणि तितकाच 40-45 सेंमीच्या अंतरावर रुंद केला जातो. नाल्यात कंपोस्ट आणि रासायनिक खताचे मिश्रण देऊन ते मातीत चांगले मिसळतात. बियाणे नाल्यात 10 सेमी अंतरावर राईझोम पेरतात आणि माती झाकतात. माती झाकताना, काळजी घ्या की नाले जमिनीच्या खाली थोडेसे राहील जेणेकरुन उन्हाळ्यात पाणी देण्याची सोय होईल. पावसाच्या आगमनाने, पाणी गोठू नये म्हणून मातीचे ढीग केले आहेत. (ब) पावसाळ्यात हळद आणि आले लावण्यासाठी लहान बेड जमिनीपासून 8-10 सें.मी. उंच असावेत, जेणेकरून पावसात पाणी नसेल. 3.20 मीटर लांब आणि 1 मीटर रूंदीचे बेड बनवू शकतात. या बेडांमध्ये, पेरणी ओळीपासून 40 सेंमी आणि वनस्पतीपासून 10 सें.मी. अंतरावर केली जाते. पेरणीसाठी, आम्ही 10 सें.मी. खोलीचे निचरा बनवितो आणि त्या नाल्यात 10 सेमी अंतरावर राईझोम पेरतो. पेरणीच्या वेळी डोळा (अंकुर) राईझोममध्ये वरच्या बाजूस असावा. पेरणीनंतर, rhizome माती सह संरक्षित आहे. यानंतर आम्ही सिंचन देतो. पेरणीनंतर बियाणे 5- ते cm सें.मी. जाड आंबा, गुलाबवुड, तण किंवा शेण कुजलेले खत घाला जेणेकरून ओलावा टिकून राहील. यापेक्षा तणही कमी वाढेल. कृषी कार्य आणि काळजी शेतात तणमुक्त ठेवणे आवश्यक आहे. यासाठी आपण तीन ते चार वेळा केले पाहिजे. शेवटची वेळ चिखल मातीने करावी. सुरुवातीला दोन ते तीन सिंचन आवश्यक असू शकते. पावसाळ्यामध्ये सिंचन देण्याची गरज भासणार नाही, परंतु पाण्याची भीड नसल्याचे सुनिश्चित करा. जेव्हा फुले बाहेर येतात तेव्हा त्यांना बाहेर फेकून द्या. एखाद्या तज्ञाचा सल्ला घेऊन कीटक व आजारांपासून पीक वाचवा. खोदाई आणि उत्पन्न आल्याचे पीक सुमारे आठ ते नऊ महिन्यांत आणि हळद नऊ ते दहा महिन्यांत खोदण्यास योग्य ठरते जेव्हा झाडाची पाने पिवळ्या रंगाची आणि वाळलेली आणि वाकलेली दिसतात तेव्हा हे समजून घ्यावे की आता खोदण्याची योग्य वेळ आहे. यावेळी, फटके मारुन काळजीपूर्वक काढा. कच्च्या हळदचे उत्पादन प्रति हेक्टरी -4००--450० क्विंटल आणि कोरडी हळद १ 15 ते २ percent टक्के पर्यंत मिळते. आलेचे उत्पादन प्रति हेक्टरी 200 क्विंटल आहे. आले खोडून काढल्यानंतर ते दोन किंवा तीन वेळा पाण्याने धुवा आणि धूळ स्वच्छ करा. यानंतर, तीन ते चार दिवस हलक्या उन्हात वाळवा. हळद गाठ धुवून चांगले स्वच्छ करा. यानंतर, जेव्हा गठ्ठ्या पाण्यात 0.1% चुना मिसळल्या जातात, जेव्हा उकळत्या फेस येऊ लागतात आणि हळद सारखा वास येतो, तेव्हा rhizome घ्या आणि 10-15 दिवस सावलीत वाळवा. सुका आले आले कोरडे करण्यासाठी आल्याची गठ्ठ्या व्यवस्थित ट्रिम करुन पाण्यात टाका. जेव्हा त्याची त्वचा वितळते तेव्हा ती आठवड्यातून स्वच्छ आणि उन्हात वाळवावी. यानंतर, चुना पाणी आणि गंधक सह उपचार, नंतर उन्हात ठेवले. अशा प्रकारे, आल्याचा सुमारे 1/5 भाग कोरडा आल्याच्या स्वरूपात आढळतो. समाजसेवक वनिता कसानी पंजाब यांनी केले. हळद आणि आले दाणे ठेवा पुढील वर्षासाठी शेतकरी बांधव बियाणे rhizome ठेवणे आवश्यक आहे. यासाठी, खड्डा 1 मीटर खोल आणि 50 सेंमी रुंद छायादार ठिकाणी बनविला गेला आहे. बियाणे rhizome इंडोफिल एम 45 किंवा Babistein द्वारे उपचार केला जातो. खड्ड्याच्या पृष्ठभागावर, 20 सेमी वाळू विश्रांती घेते. याच्या वरच्या cm० सेंमीच्या थराला rhizome आहे. या वर, वाळूचा थर देऊन नंतर राईझोमचा थर द्या. अशाप्रकारे, र्‍झोझोम खड्ड्यात ठेवून, खड्ड्याला देठाने झाकून ठेवा. खड्डा आणि राइझोम दरम्यान, हवेसाठी 10 सेमी रिक्त जागा सोडा. यानंतर, आम्ही ते मातीच्या माथ्यावरुन लागू करतो. अशाप्रकारे, पुढच्या हंगामात बियाणे पेरणी केल्याने राईझोम सुरक्षित राहील.

ਹਲਦੀਹਲਦੀ (ਹਲਦੀ) ਇਕ ਭਾਰਤੀ ਖਾਣ ਵਾਲੀ ਸਬਜ਼ੀ ਹੈ.ਇਕ ਹੋਰ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹੋਡਾ .ਨਲੋਡਆਪਣਾ ਖਿਆਲ ਰੱਖਣਾਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋ By Vnita Kasnia.ਹਲਦੀ ਭਾਰਤੀ ਪੌਦਾ ਹੈ . ਇਹ ਅਦਰਕ ਜਾਤੀਆਂ ਦਾ 5-8 ਫੁੱਟ ਉੱਗਣ ਵਾਲਾ ਪੌਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਜੜ੍ਹ ਦੇ ਨੋਡਾਂ ਵਿਚ ਪਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਇਕ ਚਮਤਕਾਰੀ ਪਦਾਰਥ ਵਜੋਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਚਿਕਿਤਸਕ ਟੈਕਸਟ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਦਾ ਨਾਮ ਹਰਿਦ੍ਰਾ, ਕੁਰਕੁਮਾ ਲੌਂਗਾ, ਵਰਵਰਨੀ, ਗੌਰੀ, ਕਰੀਮਘਨਾ ਯੋਸ਼ਿਤਾਪ੍ਰਿਯਾ, ਹੱਟਵਿਲਾਸਾਨੀ, ਹਰਦਾਲ, ਕੁਮਕੁਮ, ਤਿਰਮਰਿਕ ਹੈ। ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਦਵਾਈ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ. ਇਹ ਭਾਰਤੀ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਤੌਰ ਤੇ ਬਹੁਤ ਸ਼ੁੱਭ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਵਿਆਹ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਦੇ ਰਸ ਦੀ ਆਪਣੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ.ਲਾਤੀਨੀ ਨਾਮ: ਕਰਕੁਮਾ ਲੋਂਗਾਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਨਾਮ: ਹਲਦੀਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਨਾਮ: ਜਿਨਜੀਆਂਗਹਲਦੀ ਦਾ ਪੌਦਾ: ਇਸਦੇ ਪੱਤੇ ਵੱਡੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ.ਲੰਬੇ ਆਯੁਰਵੈਦਿਕ ਦਵਾਈ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਇਸ ਨੂੰ ਵਿੱਚ ਵਰਤਿਆ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਜਾਣਿਆ ਗਿਆ ਹੈ Haridra [1] , ਅਮਰੀਕੀ ਖੁਰਾਕ ਤੇ ਡਰੱਗ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਅਨੁਸਾਰ [2] [3] , ਹਲਦੀ ਕਿਸੇ ਵੀ ਬਿਮਾਰੀ ਦਾ ਇਲਾਜ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜ ਇਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਵੀ ਹੈ ਉੱਚ-ਗੁਣਵੱਤਾ ਕਲੀਨਿਕਲ ਸਬੂਤ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਲਈ , ਕਰਕੁਮਿਨ .ਜਾਣ ਪਛਾਣ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਹਲਦੀ ਵਿਚ 5.8% ਜਲਣਸ਼ੀਲ ਤੇਲ, ਪ੍ਰੋਟੀਨ 6.3%, ਤਰਲ 5.1%, ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥ 3.5%, ਅਤੇ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ 68.4% ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦਾ ਰੰਗ ਕਰਕੁਮਿਨ, ਵਿਟਾਮਿਨ ਏ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ, ਗਠੀਏ , ਖੂਨ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ, ਕੈਂਸਰ , ਜਰਾਸੀਮੀ ਲਾਗ, ਹਾਈ ਬਲੱਡ ਪ੍ਰੈਸ਼ਰ ਅਤੇ ਐਲਡੀਐਲ ਕੋਲੈਸਟ੍ਰੋਲ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਟੁੱਟਣ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਵਿਚ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ. ਹਲਦੀ ਕਫਾ-ਵਟਾ ਸੈਡੇਟਿਵ, ਪਿਟਾ ਲਚਕਦਾਰ ਅਤੇ ਪਥਰ ਸੈਡੇਟਿਵ ਹੈ. ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਖੂਨ ਦੀ ਸਟੈਸੀਜ਼, ਪਿਸ਼ਾਬ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ, ਗਰਭ, ਕੜਵੱਲ, ਚਮੜੀ ਰੋਗ, ਵੈਟਾ-ਪਿਤ-ਬਲਗਮ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਫਾਇਦੇਮੰਦ ਹੈ. ਇਹ ਜਿਗਰ ਦੇ ਵਾਧੇ ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਪਲਸ ਕੋਲਿਕ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ, ਐਨਓਰੇਕਸਿਆ (ਭੁੱਖ ਦੀ ਕਮੀ), ਕਬਜ਼, ਖੰਡ, ਜਲ ਦੇ ਸਰੀਰ ਅਤੇ ਕੀੜੇ ਦੇ ਰੋਗ.ਇਹ ਲਾਭਕਾਰੀ ਵੀ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ. ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਾਲੀ ਹਲਦੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਦੀ ਇਕ ਕਿਸਮ ਹੈ. ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਕਾਲੀ ਹਲਦੀ ਪੀਲੀ ਹਲਦੀ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ.ਹਲਦੀ ਦੀ ਜੜ੍ਹਹਲਦੀ ਪਾ powderਡਰਵਰਤੋਂ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਹਲਦੀ ਰਸੋਈ ਦੀ ਖੂਬਸੂਰਤੀ ਦੇ ਨਾਲ , ਕਈ ਚਿਕਿਤਸਕ ਗੁਣਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ . ਆਯੁਰਵੈਦ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਹਲਦੀ ਗੱਮ ਦੇ ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਮਦਦਗਾਰ ਹੈ, ਨਾਲ ਹੀ ਇਹ ਖੰਘ ਅਤੇ ਖਾਂਸੀ ਸਮੇਤ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦੇ ਇਲਾਜ ਵਿਚ ਵੀ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਹਲਦੀ ਨੂੰ ਸੁੰਦਰਤਾ ਵਧਾਉਣ ਵਾਲਾ ਵੀ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਹੀ ਇਸ ਨੂੰ ਰੂਪ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ. ਇਸ ਸਮੇਂ, ਹਲਦੀ ਉਬਾਲਣ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਵੱਖ ਵੱਖ ਕਰੀਮਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ.By Vnita Punjabਵੱਖ ਵੱਖ ਮਨੁੱਖੀ ਰੋਗਾਂ ਅਤੇ ਸਥਿਤੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਨਿਦਾਨ ਦੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਹਲਦੀ ਅਤੇ ਕਰਕੁਮਿਨ (ਏ), ਟੈਸਟਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ; ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਜਾਂ ਬੇਲੋੜੀ ਘਾਟ, ਕਿਸੇ ਨੇ ਵੀ ਉੱਚ ਗੁਣਵੱਤਾ ਦਾ ਪ੍ਰਮਾਣ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤਾ. [2] []] []] ਮਨੁੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਕਲੀਨਿਕਲ ਅਜ਼ਮਾਇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਉੱਚ ਗੁਣਵੱਤਾ ਦਾ ਕੋਈ ਸਬੂਤ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ ਕਿ ਕਰਕੁਮਿਨ (2020 ਤੱਕ) ਸੋਜਸ਼ ਨੂੰ ਘਟਾਉਂਦਾ ਹੈ . [2] [3]

Turmeric  Turmeric (turmeric) is an Indian edible vegetable.  Read in another language  Download  Take care of yourself  Edit By Vnita Kasnia.  Turmeric is an Indian plant. It is a 5-8 foot tall plant of the genus Ginger in which turmeric is found in the root nodes. Turmeric has been considered a miracle ingredient in Ayurveda since ancient times. Apart from turmeric in medical texts, its names are Haridra, Kurkuma Longa, Varvarni, Gauri, Karimghana Yoshitapriya, Hatvilasani, Hardal, Kumkum, Tirmarik. Turmeric is said to be an important medicine in Ayurveda. It holds an important place in Indian cuisine and is considered religiously auspicious. Turmeric juice has its own special significance in marriage.  Latin Name: Karkuma Longa  English name: Turmeric  Family Name: Xinjiang  Turmeric plant: Its leaves are large.  Turmeric has long been used in Ayurvedic medicine where it is used, but also known as Haridra [1], according to ...